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क्या लिखूं - Priyanka Tripathi (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

क्या लिखूं

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क्या लिखूं

सोचती हूं क्या लिखूं
लिख दूं रोज की पाती
या दर्द भरी कोई कहानी
सोचती हूं क्या लिखूं ।

जीवन एक फसाना है
आना और जाना है
संघर्ष करते हुए
हंसते हंसते जीवन बिताना है ।

सोचती हूं क्या लिखूं
लिख दूं रोज की पाती ।

आदमी का जीवन तो
यादों का पिटारा है
पिटारे को खोलो तो
सुख दुख हमारा है ।

सोचती हूं क्या लिखूं
लिख दूं रोज की पाती ।

ज़िन्दगी का मोल समझो तो
जीवन से प्यार हो जाएगा
कितने भी आंधी तूफान आये
सागर को किनारा मिल जाएगा ।

सोचती हूं क्या लिखूं
लिख दूं रोज की पाती ।

प्रियंका पांडेय त्रिपाठी
प्रयागराज उत्तर प्रदेश
स्वरचित एवं मौलिक

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Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

विलक्षण

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 4 years ago

सुंदर

Priyanka Tripathi4 years ago

हार्दिक आभार ?

प्रपोजल
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