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शीर्षक : " एक बूंद प्यार की बरसात" (भाग -3)
प्लीज आप घबराइये नही... मेरी मदद कीजिये !
शायद वो मेरी हृदय गति सुन कर ये बोली थी!
मैंने काँपते हाथो से अपनी जैकेट की चैन से उसके बालो को आज़ाद किया!
उसने सबसे पहले नीचे गिरी अपनी छतरी को उठाया और घूम कर मेरी तरफ देखा तो हँसते हुए बोली ...
अरे भौंदू राम तुम..?
उसके हँसी में मन को छू लेने वाली खनक थी!
ये क्या..?
मेरा बारिश वाला प्यार मेरी क्लासमेट आकांक्षा निकली!
इस घटना के बाद मैं आकांक्षा के विशेष मित्रो की सूची में शामिल तो हो गया, परंतु कभी उसे अपने दिल की बात न कह सका... बस उस रोज उसके माथे से गिरी वो छोटी सी काली बिंदी मेरे सीने पर जो चिपकी वही मुझे अब जीने के लिए धड़कने दे रही है!
मेरी धड़कने तेज गति से दौड़ रही थी , मुझे अब भी यकीं नही हो पा रहा था इस भौंदू राम की रहस्यमयी प्रेम कहानी की नायिका मैं ही हूँ!
मैंने डायरी के पन्नों को पलट कर आज का पेज पढ़ने की कोशिश की!
मुझे मेरी किस्मत पर पूरा भरोसा था कि आकांक्षा मुझे कभी न कभी फोन जरूर करेंगी, इसलिए उसके फोन नंबर को कभी सेव नही किया था!
पर इस बात का नाममात्र भी आभास नही था, की वो मुझे फोन अपनी शादी का निमंत्रण पत्र देने के लिए करेगी...!
शायद अब कभी भी मुझ पर उसके प्यार की एक बूंद भी नही बरसेगी.....
लो गर्मा गर्म कॉफी... विद तुम्हारे फेबरेट आलू पकौड़ा.... जो दिव्या ला रही हैं..!
कहते हुए सरु ने कॉफी टेबल पर रख दी!
मैं भीगी पलको से एकटक सरु को देख रही थी!
उसने मेरे हाथों में अपनी डायरी देखी तो उसके चेहरे का रंग उड़ने लगा!
चीते की फुर्ती से मेरे हाथों से उसने अपनी डायरी झपटी!
डायरी के साथ मैं भी उसके सीने से जा लगी!
आकांक्षा सम्भालो खुद को...तुम्हारी शादी होने वाली है.!
किसने कहा..?? दिव्या पकौड़ो की प्लेट हाथ मे थामे विस्मय से बोली!
उसकी आवाज़ सुन मै मुस्काती हुई एक झटके में सरु से दूर हो गई..!
वो शादी का कार्ड ..?? सरु चौकते हुये बोला!
वो मेरी शादी का है भौंदू राम कह कर दिव्या जोर से हँस पड़ी!
और मैं फिर से सरु के सीने से जा लगी, तभी एक बूंद मेरे गाल पर महसूस हुई ये एक बूंद बारिश की नही अपितु उस प्यार की थी जो सरु की आंखों से मुझ पर बरसात कर रही थी..!
©️ पूनम बागड़िया "पुनीत"
(नई दिल्ली)
स्वरचित मौलिक तथा अप्रकाशित रचना