कवितालयबद्ध कविता
स्वरचित मौलिक :: नारी ही नारी की सूत्रधार है!
नारी ही नारी की सूत्रधार है!
फिर नारी ही नारी से क्यो परेशान है?
हर नारी सुखी रहना चाहती है!
फिर नारी ही नारी के सुख से क्यो हैरान है?
नारी कृपालु, दयालु, ममता की मूरत है!
फिर नारी ही नारी से क्यो घृणित है?
हर नारी आत्मनिर्भर बनना चाहती है!
फिर नारी ही नारी का शोषण क्यो करती है?
हर नारी सम्मान से जीना चाहती है!
फिर नारी ही नारी को बेपर्दा क्यो करती है?
हर नारी मे मां बहन बेटी बहु समायी है!
फिर नारी ही नारी के जज्बातों पर क्यो घात करती है?
हर नारी अरमानों की डोली मे आती है!
फिर नारी ही नारी के अरमानों पर क्यो वार करती है?
नारी ही नारी की सच्ची हमदर्द होती है!
फिर नारी ही नारी की दुश्मन क्यो बन जाती है?
हर नारी गर ये बात समझ जाए तो!
नारी ही नारी के दुखो को हर सकती है!
नारी ही दुर्गा लक्ष्मी काली सरस्वती है!
हर नारी गर चाह ले तो घरो मे एकता हो जाए!
फिर से घर परिवार एकल नही संयुक्त हो जाए!
क्योंकि नारी ही नारी की सूत्रधार है!!!
प्रियंका पांडेय त्रिपाठी
प्रयागराज उत्तर प्रदेश
मंथन योग्य प्रश्न हैं,हर नारी जवाबदेह है। बहुत खूब।
धन्यवाद ?