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चाय के बहाने - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कहानीलघुकथा

चाय के बहाने

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  • 4 Min Read

चाय के बहाने

" अरे आइए जी , बस चाय तैयार ही है। घड़ी भर को साथ भी बैठ लेंगे।" वर्मा जी बगल में रहने वाली अनुभा जी से बोले।एकाकी रह रही अनुभा इन पड़ोसियों की चाय से परेशान।अब तो उन्होंने घर पर चाय बनाना
भी बंद कर दिया।
इधर मोहल्ले की सब पत्नियाँ अपने पतियों की छलियागिरी से तंग।सबने प्लान बनाया , "आगे से कोई ज़रूरत नहीं अदरक इलायची आदि की चाय बनाने की। आज से सब काला पानी पिलाएंगे इन मेडम को। "
उधर अनुभा भी छुटकारा चाहती है अधेड़ मजनुओं से। वो महिलाओं
की कारस्तानी भी समझती थी।चलो पीछा छूटेगा सोचती हुई डॉयल घुमाती हैं ,"हाँ अबीर,सुनो तुम्हारा आयडिया काम करेगा क्या। चलो ठीक डार्लिंग, कल मिलते हैं। वैसा
ही करना।"
अनुभा सबको चाय पर आमंत्रित करती है,पत्नियों को भी। फिर क्या मर्द सुट्ट और जनानियाँ खुश।अनुभा के सुदर्शन पतिदेव का परिचय पाकर।
सरला मेहता

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Priyanka Tripathi

Priyanka Tripathi 3 years ago

वाह

Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

वाह, क्या नाटकीय अंत है!सच के बहुत करीब है आपकी रचना।

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

वाह..! सबने मिल कर अच्छी तरकीब निकाली..! ???

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