कवितालयबद्ध कविता
दिल जब
दिल जब दर्द से बहुत, भर जाता है,
गम का प्याला जब, छलक जाता है।
होंठ मौन रहते है, शब्द खो जाता है,
आँखों से दो बूंद नीर छलक जाता है।
मन की कितनी व्यथाएँ, पीड़ाएं सब,
मन को उम्र भर बहुत तड़फाती है।
उम्र आती है और कब चली जाती है।
जिंदगी वक्त के दरिया में खो जाती है,
अनचाहे रिश्ते-नातों के किर्चे रूह को,
खंजर से घोपे, आर से चुभोये जाते हैं।
हम तोड़ना बहुत इन रिश्तों को चाहते ,
पर ये हमसे और भी लिपटते जाते है।
दुनिया को दिखाने को हम हँसते जाते है,
मन में हम दर्द के कितने समंदर छुपाते है।
दिल में दर्द हद से बढ़ जाता है जब,
दो बूंद आँखों से आँसू निकल जाते हैं।
ये स्वरचित व मौलिक रचना है।
राजेश्वरी जोशी,
उतराखंड
दोहरी जिंदगी जीने की मजबूरी और व्यथा को बखूबी उजागर किया है।
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