कहानीहास्य व्यंग्य
आज मैं आपको सुनाती हूँ किस्सा ए अंधविश्वास 😁😂😂 काफी हँसी आएगी आप सबको। किस्सा सुनाने से पहले मेरी फैमिली का भी बताना पड़ेगा क्योकि यह हमारे चाचा जी की लाइफ से जुड़ा हुआ हैं। मेरे दादा जी के छोटे भाई साहब के सबसे बड़े पुत्र हैं वो।
बात काफी पुरानी हैं मैं शायद 5/6 साल की थी तब। तो हुआ यूँ कि हमारे जो चाचा जी हैं वो काफी चटौरे हैं 😁😁 खाने पीने का बड़ा शौक रखते हैं। कभी बाजार से कुछ खाने ले आए, तो कभी घर पर कुछ बना लिया। एक दिन उनका हलवा खाने का मन हुआ, चाची जी मायके गए हुए थे।दादी जी से उन्होनें कहा नहीं हलवा बनाने को, खुद ही कडाही उठाई और बना लिया हलवा।
अब एक बंदा कितना का हलवा खा सकता हैं, और हलवा बन भी ज्यादा गया।
चाचा जी ने सोचा कि हलवा तो ज्यादा बन गया अब आधी रात को किसको ये हलवा खिला के आऊ। तो उन्होनें वह हलवा एक पालिथीन में डाल दिया कि सुबह कुत्तो को डाल देंगे। और हुआ यूँ कि सुबह वो हलवा वो कुत्तों को डालना भूल गए और कही रख के भूल गए कि कहाँ वो रखा था 😁😀😂😂
बात आई गई हो गई।
अब क्या हुआ कि कुछ महिनों बाद दादी और चाची घर की सफाई कर रहे थे तो अचानक से उनके सामने वो इत्ते महिने पहले का हलवा वाला पालिथीन सामने आ गया। उन्होनें खोल कर देता कि शायद कुछ सामान होगा पर वो सामान नहीं, सडा़ हुआ हलवा निकला।
उसका कलर चेंज होकर लाल हो गया था और बहुत बदबू आ रही थी उससे 😫😫
हमारी दादी पुरी अंधविश्वासी। वो तो हाय तौबा मचा दी कि हाययय हमारे घर पर कोई जानवर मांस फेंक गया, ये वो 😀😁😂😂
बात यही खत्म नहीं हुई दादी जा पहुंची बाबा के पास 😂😂😂
और कहा कि हमारे घर ऐसे ऐसे जानवर का मांस मिला ये वो। आप बताओ कौन फेंक के गया। अब बाबा जी का तो बैठे बिठाए पैसों का इंतजाम हो रहा था वो कहा पीछे रहते। उनको तो पैसे एठने से मल्लब था। बाबा जी तो पुरा खेल रचा दिए कि तेरी ये पडो़सन आई वो तेरे घर में करके चली गई।
दादी जी कि हाय तौबा स्टार्ट कि अब क्या होगा, हमें कैसे भी करके बचा लो।
बाबा जी ने पता नहीं क्या क्या यंत्र वंत्र,भभूत ,ताबीज और पता नहीं क्या क्या दे दिया। और बहुत सारा कचरा उनके दिमाक में तरह बैठा दिया।
अब पुरे गाँव में यह खबर फैल गई कि उनके घर तो किसी ने कुछ कर दिया ये वो ओओहहहहोहहह 😂😂😁😁
और उधर चाचा जी कि हालत खराब कि किस को समझाए तो कैसे समझाए कि वह तो हलवा था। चाचा जी मेरी मम्मी के पास आए और सब बताया कि भाभी जी आप माँ को बताना।मेरी तो मान नहीं रही अंधविश्वासी हैं वो तो। पर अब क्या करे। यह बात मैंने सुनली मैं पास ही थी और उसी टाइम दौड़कर दादी को सब बता आई।
दादी जी दूसरे दिन दौडी़ दौडी़ मम्मी के पास आई और कहते कि, हाय ये सब उसने पहले क्यूँ नहीं बताया। उस बाबा ने तो लुट लिया पैसा।मम्मी ने कहा कि आप गए ही क्यूँ, पहले घर पर तो पुछते किसी से।
दादी ने कहा कि, अब पछताने से क्या होगा बहू जब चिड़िया चुग गई खेत।
आज भी जब हम यह बात याद करते हैं तो पेट पकड़ पकड़ कर हँसी आती हैं कि कैसे अकेले अकेले हलवा खाना चाचा जी को कितना महँगा पड़ गया और दादी को ठग बाबा तक पहुँचा दिया 😂😂😁😁
एक सीख तो मिली कि अंधविश्वास नहीं करना चाहिए और
चटौरे चाचा जी को सबक अगली बार कुछ खाने को बनाया तो ऐसे रखकर नहीं भुलेंगे।वरना पता नहीं कोई उसका क्या रायता फैला देगा। 😂😂😁😁
बात हँसी मजाक के लिए हैं, हँस ले। अंधविश्वास पर ज्ञान गंगा ना बहाए। 😁😊
एक बार मुझसे भी ऐसा ही कुछ गलती है गया था तो इससे भी हटकर था 😂😂😁😁 वो फिर कभी ।आज के लिए इतना ही काफी हैं।
तब तक हंसते रहो 😁😂
सु मन
यह जबरदस्त रही। हँस हंसकर पेट फूल गया। परन्तु मुझे लगता है इस कहानी को कसाव की जरूरत है। साथ ही साथ आप इसे और भी अच्छी तरह तराशकर लिख सकती हैं। सबकी भाषा शैली लिखने का तरीका अलग होता है। मुझे आपका हास्य पसन्द आया। परन्तु मैं आपको कहूंगी आप इसे बार बार पढ़ती रहें और धीरे धीरे इसमें कुछ कुछ मसाले और मिलाती रहें। साथ ही कुछ और अनावश्यक चीजें निकालती रहे। आपने बढ़िया लिखा है आपके अगले हास्य किस्से का इंतज़ार रहेगा।
शुक्रिया आपका सुझाव के लिए। यह सत्य घटना हैं जी। मैने सोचा यहाँ भी शेयर की जाए। सबको हँसाया जाए। फेसबुक पर शेयर की थी, जल्दबाजी में ऐसा ही लिख पाई।