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इश्क़ जताऊं कैसे - Pratik Prabhakar (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

इश्क़ जताऊं कैसे

  • 147
  • 3 Min Read

आज तक था अकेला ही

लगेगा दिलों का मेला भी

दिखा मुझे वह पहली बार

बताऊं दिल क्या झेला जी।।



हंसती खिलाती मोरनी सी

हसरते उससे जोड़नी थी

क्या कह दे इश्क है तुमसे

खत्म करें मन का झमेला ही।।





पहली नजर में ही प्यार हुआ

एक बार में ही कई बार हुआ

दिल में समुंदर सी लहर उठी

तोड़ा सीमाओं का रेला ही।





पर अब मैं कैसे बताऊं उसे ?

कैसे इश्क को जताऊं उसे

वह शर्माती इठलाती बलखाती

मिलना किस्मत का खेला ही।।

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शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 3 years ago

बहुत बढ़िया। #इठलाती

Pratik Prabhakar3 years ago

जी शुक्रिया

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत खूब

Pratik Prabhakar3 years ago

जी धन्यवाद

प्रपोजल
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