कवितालयबद्ध कविता
आज तक था अकेला ही
लगेगा दिलों का मेला भी
दिखा मुझे वह पहली बार
बताऊं दिल क्या झेला जी।।
हंसती खिलाती मोरनी सी
हसरते उससे जोड़नी थी
क्या कह दे इश्क है तुमसे
खत्म करें मन का झमेला ही।।
पहली नजर में ही प्यार हुआ
एक बार में ही कई बार हुआ
दिल में समुंदर सी लहर उठी
तोड़ा सीमाओं का रेला ही।
पर अब मैं कैसे बताऊं उसे ?
कैसे इश्क को जताऊं उसे
वह शर्माती इठलाती बलखाती
मिलना किस्मत का खेला ही।।