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स्त्री - राजेश्वरी जोशी (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

स्त्री

  • 311
  • 2 Min Read

स्त्री
स्त्री मात्र एक तन नही,
एक मन भी है।
जिसकी आँखों में,
सीपी से समाये,
मोती से सपने है।
जिसके मन में हसरतों का,
समंदर मचलता है।
जिसमें मछलियों की,
तरह रंग- बिरंगा सा,
सपना तैरता है।
जिसके आँचल में,
ममता दीप जलता है।
होंठ हँसते और दिल में,
दर्द का दरिया बहता है।
स्त्री मात्र एक तन नही,
एक मन भी है।
ये स्वरचित है।
राजेश्वरी जोशी,
उत्तराखंड

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Neelima Tigga

Neelima Tigga 3 years ago

सुंदर रचना

शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 3 years ago

बहुत सुंदर परिचय

राजेश्वरी जोशी3 years ago

धन्यवाद

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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माँ
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