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जिंदगी - रानी सिंह (Sahitya Arpan)

कवितागजलअन्य

जिंदगी

  • 330
  • 1 Min Read

ए खुदा क्यों लिखा तूने इस तकदीर को पानी में,
चाह कर भी कभी भर न सके रंग इन्द्रधनुष के|
लिख देता अगर केनवस पर कहानी जिंदगी की,
मन चाहा रंग भर रंगीन बन जाती दास्ता ए जिंदगी की||



©Rani Singh

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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

इसे आप फोर लाइनर कह सकती हैं

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

आपकी रचना अच्छी है मगर ग़ज़ल में कम से कम पांच शेर होते हैं और काफ़िया और रदीफ़ भी। इस लिहाज़ से देखें तो यह ग़ज़ल नहीं है।

रानी सिंह3 years ago

जी धन्यवाद बताने के लिए

शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 3 years ago

आदरणीय आपकी यह कविता किसी भी रूप में ग़ज़ल प्रतीत नहीं होती है।

रानी सिंह3 years ago

आपको क्या प्रतीत होती है यह कविता

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