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कवितागजलअन्य
ए खुदा क्यों लिखा तूने इस तकदीर को पानी में, चाह कर भी कभी भर न सके रंग इन्द्रधनुष के| लिख देता अगर केनवस पर कहानी जिंदगी की, मन चाहा रंग भर रंगीन बन जाती दास्ता ए जिंदगी की|| ©Rani Singh
बहुत खूब
इसे आप फोर लाइनर कह सकती हैं
आपकी रचना अच्छी है मगर ग़ज़ल में कम से कम पांच शेर होते हैं और काफ़िया और रदीफ़ भी। इस लिहाज़ से देखें तो यह ग़ज़ल नहीं है।
जी धन्यवाद बताने के लिए
आदरणीय आपकी यह कविता किसी भी रूप में ग़ज़ल प्रतीत नहीं होती है।
आपको क्या प्रतीत होती है यह कविता