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गोवर्धन - Mamta Gupta (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

गोवर्धन

  • 190
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# गोवर्धन

हे!! मेरे नटखट मदन मुरारी
देखकर तेरी अद्भुत लीला न्यारी।।

स्वर्ग देव इंद्र था, देवराज बड़ा अभिमानी।
मूसलाधार वर्षा से ब्रज हो गया पानी पानी।।

घबराऐ सब नर नारी,तब आये मेरे चक्रधारी
छोटी सी उंगली पर उठा लिया,विराट गिरी।।

बच गयी ब्रजवासियों की जान।
चूर हो गया इंद्र का अभिमान।।

गोवर्धन पर्वत नाम दिया कहलाये गिरधारी श्याम
अन्नकूट भोग बनाकर,पूजा करते भक्त तेरे घनश्याम।।

ममता गुप्ता✍️

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Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

विलक्षण

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

सुंदर

Mamta Gupta3 years ago

जी जय श्री कृष्णा

प्रपोजल
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