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ट्रेन के लोकल डिब्बे का एक्सपीरियंस - Anupma Anu (Sahitya Arpan)

लेखअन्य

ट्रेन के लोकल डिब्बे का एक्सपीरियंस

  • 208
  • 8 Min Read

लोकल ट्रेन का सफर
आयोजन - प्रतियोगिता
विषय-ट्रेन के लोकल डिब्बे का एक्सपीरिंस
विद्या - संस्मरण
ऐड ए टैग- संस्मरण
दिनांक-10/11/2020


बात उन दिनों की है जब मैं उड़ीसा के केंदुझरगढ़ नाम के एक जिले में रहती थीं। मेरे पति रेलवे ड्राईवर होने की वजह से हमारा हमेशा कहीं न कहीं जाना लगा रहता है। उस समय मैं अपने बच्चों के साथ गांव से गर्मी की छुट्टियां मनाने के बाद वापस रवाना हो रही थी। अपने घर से केन्दुझर जाने के लिए तीन ट्रेन बदलना पड़ता था। जमशेदपुर से जब हमारी आखिरी ट्रेन केन्दुझर के लिए रवाना होने लगी। हम सब अपने अपने स्थान पर जा कर बैठ गए। केन्दुझर जाने के क्रम में आप वहां के प्राकृतिक दृश्य में मन इस तरह रमणीय हो जाता है कि कुछ भी सुध नहीं रहता। वहां के घुमावदार रास्तों से जब ट्रेन गुजरती है तो ट्रेन के आगे का इंजन पीछे के डिब्बों से दिखाई देता है। जब वह मुझे ऊंचे पहाड़ों के बीच से ट्रेन गुजरने लगती है तो मन आनंद विभोर हो जाता है। यह रास्ते थोड़े सुनसान है इसी क्रम में हमारी ट्रेन जब एक बार इन रास्तों से गुजर रही थी तब एक व् वयस्क व्यक्ति जो बहुत ही फटे - पुराने कपड़ों में लिपटा हुआ था और लंगड़ा -लंगड़ा कर पैर घसीटते हुए घूम रहा था ।हमारी ट्रेन के बोगी में भीख मांगते हुए पहुंचा और उसने पूरी बोगी में घूम घूम कर भीख मांगा। सभी ने कुछ ना कुछ कोई ₹1 कोई ₹5 ऐसे करके उसे देता गया।मैं खिड़की के समीप वाली सीट पर बैठे हुए थे तभी मैंने क्या देखा वह व्यक्ति जो बोगी में भीख मांग रहा था जब ट्रेन रुकी वह ट्रेन से उतरा और बहुत ही अच्छी तरह से अपने उन कपड़ों को बदला और वहां से चलते बना । मैं उसे बड़े ही आश्चर्य और हतप्रभ होकर देखते ही रह गई।

स्वरचित मौलिक रचना
अनुपमा (अनु)
भोजपुर, बिहार

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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बढ़िया संस्मरण और वाकई यह सच्चाई है कि दुनिया में हर तरह के लोग हैं।

Anupma Anu3 years ago

धन्यवाद,हां दी ये बिल्कुल सत्य है

Anupma Anu

Anupma Anu 3 years ago

धन्यवाद छोटी

Swati Sourabh

Swati Sourabh 3 years ago

बहुत बढ़िया संस्मरण

समीक्षा
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