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दिल की बात शब्दो के साथ #बारिश वाला प्यार - Mamta Gupta (Sahitya Arpan)

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दिल की बात शब्दो के साथ #बारिश वाला प्यार

  • 313
  • 15 Min Read

भीगे हैं इस प्यार की बारिश में
एक अहसास के साथ
ये दिल की बात है शब्दो के साथ•••


बेरंग थे हर मौसम , बेरंग सी हर रवानी थी ...
एक समय था जब मेरे सुबह शाम की एक सी कहानी थी ...

न दोस्त थे पुराने न कोई पास था ...
बस सोशल मीडिया का एक साथ था ...

कहते सोशल मीडिया तो झूठ का सबसे बड़ा जाल है ...
पर इसी जाल के बीच मुझे कोई अपना सा लगने लगा ...

किसी दिन मुलाकात हुई कुछ लोगो से ...
एकदम तो ना जान पाई सबको अच्छे से ...

चुड़ैल ,चुहिया , बिल्ली ऐसी अजीब बाते होती थी एक बंदे की ...
पता न था कब तार छू ली उसकी बातों ने मेरे दिल की ...

कहते है बेशुमार हँसी के पीछे काफी गम भी छुपा रहता ...
उसकी भी हँसी के पीछे का राज जानने के मन उतावला रहता ...

लगता था हम दोनो की कहानी कुछ एक सी ही थी ...
वो अपने अकेलेपन से दुखी , और मैं अपनो से दुःखी थी ...

धीरे धीरे हम दो दोस्त करीब आने लगे थे ...
सुबह शाम बस एक दूसरे से बात करने लगे थे ...

मुझे एक अच्छा और सच्चा दोस्त लगने लगा ...
उसकी हर बात का अंदाज निराला लगने लगा ...

जब भी होती थी उदासी मेरे चेहरे पे वो तभी आ जाता था ...
और अपनी बातों से मेरे होठो पे ढेर सारी हँसी बिखेर देता था ...

धीरे धीरे शायद अब मैं उसे पंसद करने लगी थी ...
पर दुनिया की ढेर सारी पाबंदिया मेरे ऊपर लदी थी ...

जानना चाहती थी उसके भी दिल मे क्या है ...
क्या ये सच मे प्यार है या सिर्फ मेरे दिल में उड़ी अफवाह है ...

फेसबुक का वो प्यार न जाने कब व्हाट्सएप से गुजरते हुए दिल तक पहुँच गया पता ही न चला ...
ज़िंदगी की जद्दोजहद से झुझती हुई दो
अनजान राहें कब एक मोड़ पर आ मिली पता ही न चला ...

बस खोये रहने लगे थे एक दूजे के प्यार में इंतजार में , बस एक झलक पाने को बेताब रहते थे ...
सुबह की धूप हो या ढलती हुई सुरमई सांझ हर वक्त एक दूसरे ही देखने को दोनो दिल बेताब रहते थे ...

बिना देखे , बिन सुने , बिना मिले वो अंजान शख्स बस दिल मे उतर चुका था ...
एक अंजान शख्स अचानक से मेरे दिल को अपना सा लगने लगा था ...

बस कुछ पल की बाते ना जाने कितने सालों के गम भूला देती थी ...
अपने दिल के मन मंदिर में बस उसी के अरमान सजा रखी थी ...

बारिश पसन्द ना होने पर भी, अचानक बारिश की बूंदों से इश्क सा होने लगा था ...
प्यार की बारिश के बहाव में मन मेरा बहने लगा था ...

जब भी बारिश की बूंदे मेरे चेहरे को छू जाती ...
उसके करीब होने का अहसास में मयूर बन नाचने लग जाती ...

शायद जिंदगी ने दिए हुए जख्म का अब मुझे मलहम मिल चुका था ...
बस अपने दर्द पे इसी मलहम को हमेशा लगाना सोच लिया था ...

खुशनसीब हूँ मैं जिसने अपने दर्द के इलाज को संभाल रखा है ...
कोई चुरा न ले मेरी खुशी कही , इसी डर से उसे सारी दुनिया से छुपा रखा है ...

अब तक हम सिर्फ अल्फाज़ो में मिले है एक दूसरे से ...
कभी एक दूसरे की आंखों में भी खोना चाहते है ...
अपने इतने सालो के दिल मे बैठे दर्द मिटाने को ...
उसकी बाहों में लिपट के रोना चाहते है ...

हा मुझे इंतजार रहता हैं आज भी उसके मिलने का ...
पर हम दोनों ही अपनी अपनी मजबूरियों से जुदा हैं ...

वो दूर होकर भी पास है मेरे ...
बस ऐसे ही दिल से दिल जुड़े रहे हमारे ये भी प्यार की एक अदा हैं ...

मुझे इन्तजार है अब उस बारिश का , उसके बाहों में भीगने का ...
ना जाने कब वो मुलाकात होगी , कब मेरी ख्वाहिश हकीकत में कामयाब होगी ...

पहले आंखों से नीर की बारिश बहती अब बस प्यार की बारिश बहती है ...
उसके आ जाने से अचानक बारिश में भी दीवाली सी आ जाती है ...

बंधे है हम एक ऐसे बन्धन में जो विश्वास और सत्यता पर बना है...

बस ये प्यार ऐसे ही बना रहे ये ही रब से मेरी दुआ है.....

ममता गुप्ता
स्वरचित व मौलिक

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Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

चैतन्यपूर्ण

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

BHAVBHEENI RACHNA.

Mamta Gupta3 years ago

जी धन्यवाद

दादी की परी
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