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ये नयन - Anju Gahlot (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

ये नयन

  • 332
  • 3 Min Read

चित्र के आधार पर ....
#स्वरचित कविता-
शीर्षक-"शबनमी आंखें"

मुद्दतें हो गईं , देखते आ रहे हैं।
खंजन नयन खूब भरमा रहे हैं।।

ये भोले से मुखड़े, किसी से नहीं कम।
बला की नजाकत,ढाते सितम ।।
नयन-कोर में शबनमी दर्द लेकर-
बरसते हैं संग हम बहे जा रहे हैं ।।

दिलेरी का जज्बा,रूहानी मोहब्बत।
भाती है मन को हसीनों की सोहबत।।
पसरी है चुप्पी दीवाने दिलों में-
जुबां से नयन बोलते जा रहे हैं।।

निगहबान हैं उठती गिरती ये पलकें।
कपोलों पे जुल्फें,गिरती संभल के।।
सुभग नासिका और मुख, परदा लगा के-
'कोरोना है संभलो'कहे जा रहे हैं।।

________
स्वरचित-
डा.अंजु लता सिंह
नई दिल्ली

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Anju Gahlot

Anju Gahlot 3 years ago

सबको धन्यवाद

शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 3 years ago

बढ़िया

Neelima Tigga

Neelima Tigga 3 years ago

सुंदर

Sarla Mehta

Sarla Mehta 3 years ago

खूब जी

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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