कविताअतुकांत कविता
चित्र के आधार पर ....
#स्वरचित कविता-
शीर्षक-"शबनमी आंखें"
मुद्दतें हो गईं , देखते आ रहे हैं।
खंजन नयन खूब भरमा रहे हैं।।
ये भोले से मुखड़े, किसी से नहीं कम।
बला की नजाकत,ढाते सितम ।।
नयन-कोर में शबनमी दर्द लेकर-
बरसते हैं संग हम बहे जा रहे हैं ।।
दिलेरी का जज्बा,रूहानी मोहब्बत।
भाती है मन को हसीनों की सोहबत।।
पसरी है चुप्पी दीवाने दिलों में-
जुबां से नयन बोलते जा रहे हैं।।
निगहबान हैं उठती गिरती ये पलकें।
कपोलों पे जुल्फें,गिरती संभल के।।
सुभग नासिका और मुख, परदा लगा के-
'कोरोना है संभलो'कहे जा रहे हैं।।
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स्वरचित-
डा.अंजु लता सिंह
नई दिल्ली