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ये तो होना ही था - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कहानीलघुकथा

ये तो होना ही था

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ये तो होना ही था
लघुकथा

चिंतातुर डॉ शशीन्द्र बेटी अनाया की गम्भीर स्थिति देख सोचने लगे," चार वर्ष पूर्व ही तो बड़ी धूमधाम से लाड़ली को विदा किया। आयुष सा इंजीनियर दामाद पाकर धन्य होगए,,,।" पत्नी शुभदा की आवाज़ से तन्द्रा टूटी," अनाया बता रही थी कि पिछले तीन सालों में तीन बार उसका गर्भपात करवाया गया। आयुष को कम्पनी के काम से बाहर भेज कन्या भ्रूण की बलि दे दी जाती। " पर सासू माँ का भय इतना हावी कि वह पति को सच नहीं बता सकी। वो तो दामाद जी जिद कर उसे यहाँ ले आए वरना,,,।
डॉ साहब इकलौती बेटी के इलाज़ में जी जान से जुट गए। लेकिन रह रह कर उन्हें स्वयं की आत्मा धिक्कारने लगती है," वह ख़ुद भी सालों से इसी धंधे से अनाप शनाप पैसा कमा रहे हैं। उनके गुर्गे पूरे शहर में अवैध रूप से लिंग परीक्षण में जुटे हैं। और अब पैसा भी बेटी को बचाने के काम नहीं आ रहा है।"
चोरी का माल मोरी में ही जाता है। ये तो होना ही था।
सरला मेहता

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Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

जैसी करनी वैसी भरनी

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

बढ़िया

Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

चैतन्यपूर्ण

दादी की परी
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