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प्यार का त्रिकोण - Neelima Tigga (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

प्यार का त्रिकोण

  • 208
  • 3 Min Read

#प्यार का त्रिकोण
मधुबन की सुरभि फ़ैल रही
डाल डाल पात पात गा रही
मदहोश फूलों के तराने
तितलियाँ भी गुनगुना रही II
कृष्ण बांसुरी की प्रेम धून सुरीली
सुन दौड़ी मतवाली राधा बावरी
प्रेम दीवानी ये ना जानी
प्रीत पतंगा सी प्रीत रही II
मन ही मन मोहन को चाहा
स्वयंवर से भगा ले आया
रुक्मणी बावरी फिर भी हारी
पटरानी सत्यभामा ही रही II
कैसी है ये प्यार की रीत
कौन हारा किसकी जीत
प्यार हुआ ज़हरीला प्याला
मीरा भी इस से अछूती ना रही II
एक है अर्पित ,दूजी समर्पित
तीसरी वैराग्य भक्ति प्रीत
भक्ति प्रिती का संगम अनूठा
फिर क्यों सरीता, सागर से मिलने से रही II
डॉ.नीलिमा तिग्गा 'नीलांबरी'
स्वरचित, मौलिक
2/11/2020

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Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

विलक्षण

Neelima Tigga3 years ago

हार्दिक आभार आदरणीय

Poonam Bagadia

Poonam Bagadia 3 years ago

बहुत ही सुंदर..!? प्रेम के तीनों कोनो से अपने भाव से बखूबी उजागर किये..!??

Neelima Tigga3 years ago

हार्दिक आभार पूनम जी

प्रपोजल
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