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मां (प्रार्थना) - Swati Sourabh (Sahitya Arpan)

कविताभजन

मां (प्रार्थना)

  • 271
  • 3 Min Read

माँ (प्रार्थना)

मेरा मन तो है बेचैन
कैसे बंद करूं ये नैन?
कैसे तेरा दर्शन पाऊं माँ,
तुझमें ही मैं रम जाऊं माँ।

कैसे करूं मां तेरा वंदन?
सब तेरा करूं क्या अर्पण?
क्या तुझे भोग लगाऊं माँ ?
ये उलझन कैसे सुलझाऊं माँ ?

ये दुनियां है भोग विलासी ,
मन मेरा भी है अभिलाषी ।
मैं तेरे चरणों की दासी माँ ,
मैं तेरे दर्शन को प्यासी माँ।।

कभी पूजा पत्थर की मूर्ति,
कभी तेरा चित्र बनाऊं माँ ।
तुम तो हो कण- कण में व्याप्त,
अन्तर्मन में ही तुम्हें पाऊं माँ।।

स्वाति सौरभ
स्वरचित एवं मौलिक

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Priyanka Tripathi

Priyanka Tripathi 3 years ago

सुदंर प्रार्थना

Swati Sourabh3 years ago

हार्दिक आभार मैम

Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

विलक्षण

Swati Sourabh3 years ago

हार्दिक आभार सर ?

Khushi kishore

Khushi kishore 3 years ago

अद्भुत साहित्यसृजन । प्रार्थना में अद्भुत भक्तिभाव।

Swati Sourabh3 years ago

बहुत बहुत धन्यवाद आपका सर ?

प्रपोजल
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