कहानीलघुकथा
अतीत के घाव
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डा. मणि आज बहुत थक गयी थी । उसे घर भी जल्दी जाना था । उसने अपने सहयोगी डा.रुचि और डा. नवीन को बताया कि वह आज घर जा रही थोड़ा काम मेरा तुम लोग देख लेना । डा. रुचि ने उसको छेड़ा और कहा क्या कोई लड़का आरहा है तुझे देखने मणि ने कहा नहीं ऐसा कुछ नहीं पर वह अपने आप को कैसे समझाये कि कोई नहीं आ रहा । आज डा. पुनीत का परिवार देखने आ रहा था । उसने मां और पापा दोनों से शादी को मना कर दिया था । उसके बड़े भाई की शादी होगयी थी और छोटी बहन की भी पर जो घिनौनी घटना उसके साथ हो चुकी थी उसने तन ही नहीं मन भी घायल कर दिया था । इसीलिए उसने अपने मां पापा से शादी के लिये मना कर दिया था । डा.पुनीत के पापा बहुत बड़े उधोगपति थे और उन्होंने मणि को अस्पताल में देखा था उन्हें समय वह अपने बेटे पुनीत के लिये पसंद आगयी थी । पुनीत अमेरिका से अपनी कैंसर रिसर्च खत्म करके भारत आरहा था ।
अभी उनको आने में समय था । मणि मां से कहकर अपने कमरे में आराम करने चली गयी । मणि बिस्तर पर लेट कर अपने अतीत की घटनाओं में खो गयी पापा उच्च अधिकारी थे । पापा का ट्रांसफर एक कस्बे में हो गया । वह तीनों भाई बहन पढ़ने में बहुत होशियार
थे । उसकी शुरू से ही तमन्ना थी कि वह डा. बने । कस्बे में जो अध्यापक मैडीकल की कोचिंग कराते थे उनका घर कस्बे के बाहर था । वह और उसकी सहेलियां उनसे पढ़ने जाती थी । एक दिन जब वह लौट रही थी कि मौसम बहुत खराब हो गया और तेज बारिश शुरु हो गयी । उसकी सहेलियों का घर नजदीक था उन लोगों ने उससे रुकने को कहा पर वह अपनी स्कूटी लेकर आगे बढ़ गयी अचानक उसकी स्कूटी रुक गयी उसको कुछ समझ नहीं आ रहा था । उसने स्कूटी वहीं छोड़ी और पैदल चल दी सुनसान इलाका गहन अधेंरा उसे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था उसी समय किन्हीं बलशाली हाथों ने उसे दबोच लिया वह बहुत फड़फड़ाई पर वह अचेत होती चली गयी जब उसे होश आया तो वह अपने कमरे में थी और उसके भाई पापा बहन और मां सब उसके पास थे । मां की आंखे रो रो कर सूजी हुई थी । उसका पूरा शरीर दुख रहा था । पूरे शरीर पर घाव थे और सबसे अधिक घायल था उसका दिल क्योंकि रात की पूरी घटना उसकी आंखो के सामने घूम गयी वह रोने लगी और कहने लगी कि उसको मार दो मां पापा और उसका बड़ा भाई उसे समझाते रहे । वह धीरे धीरे सही होने लगी पर अपने आप में सिमट
गयी । उसके कालिज की प्रिन्सीपल को इस घटना की जानकारी मिली वह घर आई और बहुत समझाया कि किसी को भी इस घटना का पता नहीं ना चलेगा तुम अपनी पढ़ाई करो तुम्हें डा. बनना है क्योंकि उन्हें पता था की मणि बहुत होशियार बच्ची है। मणि ने भी अपना दिल पढ़ाई मे लगा दिया और वह एक सफल डा.थी ,पर इस बोझ को लेकर वह शादी करना नहीं चाहती थी ।
वह एकदम से उठ गयी क्योंकि किसी गाड़ी के रुकने की आवाज आई । पता लगा पुनीत अपने पापा और मां के साथ आ चुका था । वह बहुत साधारण तैयार होकर उन लोगो के पास पहुँची । थोड़ी देर बाद पुनीत और वह उठ कर लान में आगये । पुनीत बहुत सुलझा हुआ था उसके मां पापा भी सज्जन व्यक्ति थे । जब वह जाने लगे तो गाड़ी में बैठते ही बोले कि हमें तो मणि बिटिया पसंद है हमारा तो मन कर रहा है अभी ले जाये । मणि के मां पापा की तो खुशी का ठिकाना ही नहीं था । मणि को भी पुनीत ने आकर्षित किया उसने निर्णय लिया की वह अपने अतीत से उसे अवगत करा देगी । दूसरे दिन उसने पुनीत को मिलने के लिये बुलाया । जब दोनों मिले तब उसने कहा पुनीत मुझे कुछ बताना है । पुनीत ने कहा तुम्हारे अतीत के बारे में पता है उसमें तुम कहां गुनहगार थी । मुझे मौसी सब बता दिया वह बोली कौन मौसी पुनीत बोला पीछे घूमों जब वह पलटी तो देखा उसकी प्रिन्सीपल मैडम आशा दी खड़ी हैं वह लिपट गयी बोली मैडम मै आज जो कुछ भी हूँ आपकी ही देन है। आशा दी बोली मैडम नहीं मौसी बोलो और उन्होंने उसको गले से लगा लिया बोली अतीत के घाव भूल कर नयी जिन्दगी शुरू करो ।
स्व रचित --
डा. मधु आंधीवाल एड.
27-8-20
9837382780
madhuandhiwal53@gmail.com
मधु जी आप बेहतरीन लिखती हैं। पर पता नही क्यों इस कहानी में कुछ कमी सी लगी। माफ कीजियेगा बिल्कुल अन्यथा मत लीजियेगा मुझे लगता है कि आपको इस कहानी पर अभी कार्य करने की और ज्यादा जरूरत है। कुछ अधूरापन और कहीं कहीं शब्दों की अधिकता लगी। ??
धन्यवाद, आगे से और ध्यान रखूगी