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विजयादशमी का सामाजिक महत्व - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

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विजयादशमी का सामाजिक महत्व

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  • 12 Min Read

विजयादशमी का सामाजिक महत्व

भारत त्यौहारों का देश है।इनकी महत्ता हर क्षेत्र को प्रभावित करती है। किंतु समाज,जो जनसमूह से बनता है, के हितार्थ ही मानो त्यौहारों की संरचना हुई है।
समाज को चलाने में नैतिक मूल्यों को भुलाया नहीं जा सकता। दशहरा उत्सव की जड़ में है रावण जिसने सीता को हरा। इसके पीछे रावण का अहंकार,विजेता बनने की पिपासा थी। मर्यादा के प्रतीक राम ने रावण को हराया यानी बुराई पे अच्छाई की जीत। समाज के भी नियम होते हैं,,,सदाचरण।नारी मात्र का आदर करना।जो यह नहीं पालन करता, उसे सजा मिलनी चाहिए।
रावण के दस सिर दिखाए व आज भी बनाए जाते हैं। काम क्रोध लोभ मोह वासना-पांच विकार हैं। रावण के दस सिर यानी पांच स्त्री के विकार व पांच पुरुष के। समाज में ये विकार नहीं चाहिए वरन प्रेम सुख शान्ति चरित्र की पवित्रता व दुर्गुणों से लड़ने की अष्ट शक्तियां चाहिए। अतः प्रति वर्ष दस सिर वाले रावण को जला लोगो को याद दिलाते हैं।तभी सुनियोजित सुखी समाज होगा। अन्यायी कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो,उसका विनाश होता ही है। और सत्य कभी पराजित नहीं होता। हाँ परेशान हो सकता है।
कोई व्यक्ति कितना भी गुणी बुद्धिमान क्यों न हों, उसको अपनी बुराई का भी फल मिलता है। जब कोई व्यक्ति बुराई मिटाने की मशाल उठाता है तो कारवाँ बढ़ता जाता है।और अच्छाई का दायरा भी बढ़ता जाता है।
समाज का कोई व्यक्ति यदि किसी अच्छे काम के लिए लड़ता है तो पूरी कायनात साथ देती है। केवट, ऋषि- मुनि वानर आदि भी।किन्तु बुरे काम में विभीषण से भाई भी पल्ला झाड़ लेते हैं। छोटे बच्चों को मूल्यों की शिक्षा राम व रावण जैसे उदाहरणों से दी जा सकती है। बच्चे ही तो भावी समाज के कर्णधार हैं।
गांवों में आज भी दशहरे के अगले दिन सभी छोटे- बड़े सेवक- मालिक सभी का मिलन समारोह होता है। एक आदर्श समाज में ऊंच नीच का भेद भाव नहीं होता है।
देश की प्रथम इकाई है समाज। समाज में आदर्श नागरिक होंगे तो राजनीति में निष्पक्षता व न्याय होगा, अर्थ-प्रणाली सुनियोजित होगी। अर्थात एक आदर्श समाज ही रामराज्य ला सकता है।
इस दिन भजिए व पान खिलाने का रिवाज है। पकोड़े में सब मसाले,हरा धनिया मिर्ची,प्याज़ तथा ख़ास तौर पर गिलकी, पालक ,अजवाइन के व पोदीना के पत्ते डाले जाते हैं। हमारे देश की एकता कई अनेकताओं में परिलक्षित होती है। और पान का बीड़ा मीठी वाणी का प्रतीक है जो समाज में ज़रूरी है। समाज यानी सब का साथ,एक सबके लिए व सब एक के लिए,परस्पर सहयोग होना।
इस दिन परिवार के सभी छोटे अपने बड़ों का आशीर्वाद पाते हैं।
सरला मेहता

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Priyanka Tripathi

Priyanka Tripathi 3 years ago

बेहतरीन

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत ही बेहतरीन लेख। निशब्द कर दिया आपने। एक सांस में पढ़ गयी मैं।

Comrade Pandit

Comrade Pandit 3 years ago

आपका लेखन बहुत ही रमणीक और प्रेरणादायक होता है हमेशा ही ???

समीक्षा
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