कहानीप्रेरणादायकलघुकथा
#नवरात्रि (प्रतियोगिता)
मानसिकता +++++
+--++-+++++++सासु मां सुबह से ही हल्ला मचा रही थी अरे सब जल्दी से नहा लो आज नवदुर्गे व्रत का समापन है। आज हवन होने के बाद कन्या लागुंरा को खाना खिलाते हैं । उसके बाद घर के सभी सदस्य भोजन करते हैं। सब जल्दी जल्दी तैयार होकर हवन वेदी पर बैठ गये । हवन समाप्ति के बाद कन्या लागुंरा को बुलाया पर ये क्या कन्या केवल दो मिली लागुरों की संख्या अधिक थी । सासु मां का पारा हाई होगया । वह ननद रूचि पर चिल्लाई की मोहल्ले में से और कन्या ले आये कम से कम 9 कन्या तो हो जाये । रूचि बोली मां मोहल्ले में कन्या नहीं है।
काश अब भी सासु मां को कुछ समझ आजाये इन्ही सासु मां ने जाह्नवी होने के बाद उसका दो बार एबोर्शन करा दिया कि उन्हें पोती नहीं पोता चाहिए । इनकी ही तरह पता ना कितनी सासों ने यह कदम उठाये होगे । आज कन्या भोजन के लिये इन्हें कन्या उपलब्ध नहीं है। काश कोई इन जैसी मानसिकता वाली महिलाओं को कोई समझा
पाता । सरकार लगातार आंकड़े दे रही है कि लड़कियों का अनुपात लड़को की अपेक्षा कम हो रहा है। कन्या भ्रूण हत्या पर रोक है फिर भी पर्दे के पीछे सब चल रहा है। कैसे बदलेगी ये मानसिकता ?
स्व रचित
डा. मधु आंधीवाल एड.
अलीगढ़
आज के समाज की स्थिति को शब्दो के जाल में बुनकर जो बेहतरीन काम आपने किया है उसके लिए आप तारिफ की हकदार है
Thanks
बहुत ही गहरा संदेश देती अच्छी रचना...! शुभकामनाएं..??
Thanks