कवितालयबद्ध कविता
तू नहीं प्यार के काबिल
******************
तू ने सुनकर भी,
अनसुना कर दिया
मेरी धड़कनों की पुकार को.....
तू ने देख के भी,
अनदेखा कर दिया
मेरे अश्कों के धार को.....
तू नहीं, प्यार के काबिल
फिर भी मैंने तुझे, इश्क का
नाम दे दिया.....
तू है बेदर्द.....
फिर भी मैंने तुझे, अपना
हाल- ए- दिल कह दिया।
तू नहीं। निभाने लायक वफ़ा
फिर भी मैंने तुझे, वफ़ा का
नाम दे दिया.....
तू सिखा गया,
खुद से ही संभलना।
अब नहीं, आरजू
किसी की, बस खुद को
मैंने! इस काबिल बना लिया।
तूने सिखा दिया
कौन ? है अपना, जहाँँ में.....
अब, अपनों के लिए मैंने
जीना सीख लिया.....
गर आए खुदा और पूछे, मुझसे
क्या चाहिए ? तुझे।
तो मैं कहूँँगी.....
अपनों का साथ, हर जन्म में.....
@चम्पा यादव
१९/१०/२०