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सुनो एक बात कहता हूं (भाग - 2) - Rohit Paliwal (Sahitya Arpan)

कवितानज़्मगजल

सुनो एक बात कहता हूं (भाग - 2)

  • 211
  • 3 Min Read

सुनो एक बात कहता हूं ज़रा तुम गौर से सुनना ।

शिकन माथे की ये तेरी, गवारा है नहीं मुझको,
जो बाते दर्द की सादिक, वो सारी मुझको अता कर ।

तेरी खामोशियों से गम की, जो बूंदे टपकती हैं,
पिला दे मुझको किसी रात, उन्हें तू जाम बता कर ।

मलाल हो कोई अब भी, तो मुझसे बेझिझक तू कह,
लबो से गुफ्तगू कर ले, शरम के ताले हटा कर ।

तेरी हर एक अदा मुझको, उसके जैसी मुक़द्दस हैं,
कभी दे दीद-ए-ज़ख्म अपने, तू मुझपे थोड़ा सा हक जता कर ।

सुनो✖️
नहीं...
कहो कोई बात अब तुम तो, मुझे है गौर से सुनना।।

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शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 4 years ago

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