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तीन राही - Sudhir Kumar (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

तीन राही

  • 139
  • 10 Min Read

तीन राही
हाँ, ये तीन राही
एक दूजे के हमराही
एक राह पर चल रहे हैं
साथ--साथ ये तीन राही
एक दूजे के हमराही

पहला राही अजब सा है
चलने का इसका अंदाज
गजब का है
लगता यह कुछ
जाने क्यूँ नासमझ सा है
चल रहा है आगे, पर
मुँह पीछे की ओर मुडा़ है
यह चल रहा तो आगे पर
पीछे से अब भी जुडा़ है
उगते सूरज की ओर पीठ कर
खुद की परछाई देख रहा है
कल की खामोश झील में
यादों के कंकड़ फेंक रहा है
छोड़ उजाले को जाने क्यूँ,
सिर्फ अँधेरा देख रहा है
लगता है बस इसी से
इसको प्यार है
और इसी के मोहपाश में
गिरफ्तार है

और दूसरा राही भी अजीब है
इसके पास दूरदृष्टि है
मगर नजर नजदीक की कमजोर है
इसके कानों गूँजता
दूर, बहुत ही दूर से
आता एक शोर है,
इसीलिए धरती पर बिखरे
इन लमहों की
इसको ना कोई कदर है
इसकी तो बस
आसमान पर नजर है

आसपास के हर पल से
इनमें सिमटी खुशियों की
हर धड़कन से
ना जाने क्यूँ बेखबर है
बार-बार यह ठोकर
खाता चल रहा है
बस सुदूर कल के साँचे में
ढल रहा है
बस सपना ही इसके मन में
पल रहा है
पाँव जमीं पर धर नहीं
यह पाता है
कहने को तो धरती पर है,
पर आसमान पर चल रहा है
एक खोखली सी सोच के
दोगले से साँचे में
मन को यह ढल रहा है
और खुद ही खुद को छल रहा है

और तीसरा यह राही
देखने में लगता तो सीधा-सादा है
मगर जिंदगी की इसको
समझ सबसे ज्यादा है
यह आगे की ओर
देखकर चलता है
देखकर दायें-बाँये भी,
साथ-साथ और
कदम-कदम मिलाकर चलते
लमहों के सुनहरे साये भी
अहसासों के आईने में
लेकर चलता है
बस प्राप्त को पर्याप्त मानकर
पूर्णकाम और आप्तकाम बन
संतोष के अनमोल सुख में
पल-पल ढलता है

पीठ पर यूँ बोझ बढा़कर
बस तनाव की सूली पर
खुद की हर एक सोच चढा़कर
खुद से ही खुद को लडा़कर
मन की पतंग को
आँधियों को सौंपकर
छोटी-छोटी खुशियों को
भारीभरकम कदमों से
हर रोज रौंदकर
हाथों को पल-पल छीलते
चुभते माँझों से
रात-दिन पेंच लडा़कर
खुद को नहीं
यह छलता है

बस आज ही,
हाँ, आज ही बस
इसके मन में
पल-पल पलता है


जिंदगी के साथ-साथ
चलता है

हर मोड़, हर पडा़व पे
हर एक धूप-छाँव में
पल-पल ढलता है

जिंदगी के पाँवों के निशान से
इसके सतरंगी आसमान में
खुद की मंजिल ढूँढता है

उस जमते कल से,
उस छलते कल से,
चकाचौंध कर आँखों से
आज के लमहों में
सिमटी जिंदगी से
और पाक इबादत सी
इस बंदगी से
कर किनारा
आँखें नहीं मूँदता है


द्वारा: सुधीर अधीर

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शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 3 years ago

वाह सर, masterpiece

Sudhir Kumar3 years ago

धन्यवाद

Mamta Gupta

Mamta Gupta 3 years ago

बहुत खूब सर जी

Sudhir Kumar3 years ago

धन्यवाद

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