कविताअतुकांत कविता
बिहार चुनाव
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बिहार में चुनाव है |
जाति का भयंकर प्रभाव है |
हर दल में चलता अंकगणित
इससे ही होता सीटों का हिसाब है |
हर जातियों का प्रतिशत
मिलकर हो जाता सौ फीसद
किसी चीज के लिए बचती जगह कहाँ
बाँचते जहाँ उपनिषद |
सभी गुणों से बढ़कर बस जाति घुन है
सभी धुनों से बढ़कर यह जाति धुन है
जिसमें संगीत के हर स्वर खो जाते हैं
गुंडे और बदमाश देवताओं की जगह पूजे जाते हैं |
चुनना क्या ,हर जाति के अपने उम्मीदवार हैं
वही सफल होगा जो सबसे बड़ा रंगदार है |
हर जाति का अपना फलसफा है
एक जाति के लिए दूसरा वेवफा है |
कृष्ण तवक्या सिंह
10.10.2020
इसके लिए हम अधिक दोषी है क्योंकि हम पेट से जुडे मुद्दे छोड़कर इनमें उलझ जाते है
शायद !