कविताअतुकांत कविता
नवरात्रि के नौ दिनों में
नवदुर्गा का करते गुणगान
ऐसी कृपा कर देना मां अंबे
जग का हो जाए कल्यान
व्रत उपवास करे नर नारी
दूर करेगी मां विपदा सारी
सच्चे मन से जो ध्यान लगाए
मैया पल में बिगड़ी बनाएं
झोलियां भरती हैं मां सबकी
रहे अधूरी आस न मन की
कर लो सब
मां का जयकारा
मिल जाएगी खुशियां सारा
मां के नाम की
ज्योत जला लो
अपने जीवन के तिमिर मिटा लो
जो कोई जितना
मन से ध्यावे
मनवांछित फल मां से पावे
बचे न कोई मधु कैटभ जग में सुख शांति समृद्धि हो सबमें
बने बेटियां शक्ति स्वरूपा
छले न कोई निश्चर बल में
कहे "अंजनी" सुन लो हे मां
भर दो अपनी शक्ति से मां
बन जाए रणचंडी बेटियां
कोई महिषासुर जब आए
विश्व में शांति समृद्धि हो
जन-जन में करुणा आ जाए
अंजनी त्रिपाठी
स्वरचित मौलिक
हरिद्वार उत्तराखंड
16/10/2020