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दीप जलाये - Dr. Rajendra Singh Rahi (Sahitya Arpan)

कवितागजल

दीप जलाये

  • 131
  • 4 Min Read

उम्मीदों का दीप जलाये.....

उम्मीदों का दीप जलायें
सबको अपने गले लगायें...

प्रेमपूर्ण जीवन ही जीवन
कठिन पंथ पर कदम बढ़ायें....

द्वेष भाव अन्तर्मन में यदि
तत्पर होकर दूर भगायें....

जहर घोलते घूम रहे जो
उनको उनका दोष बतायें....

हो संवेदनशील सभी जन
सदा कर्म का पाठ पढ़ायें....

सफल वही होता जो लड़ता
समझे खुद सबको समझायें....

मांग रहे हैं जो हक अपना
बहुत जरूरी उसे दिलायें....

सूख रहा गर गला किसी का
पानी आओ जरा पिलायें....

वस्त्र नहीं है जिनके तन पर
पहले उनके लिए सिलायें....

आग लगी हो कहीं निलय में
देख दौड़ हम उसे बुझायें.....

भटक गए हैं जो भी पथ से
उनको उनकी राह दिखायें....

ताक रही अपनो को आँखे
आओ उनको खोज मिलायें....

जिनका जीवन निर्मल पानी
उनके आगे शीश झुकायें....

डाॅ. राजेन्द्र सिंह राही
सर्वाधिक सुरक्षित

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Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

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