कहानीलघुकथा
चुप्पी---
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मां चुपचाप सुनती रहती थी ,दादी के व्यंग्य और पापा की गालियां पर मजाल मां के चेहरे पर कोई शिकन आजाये हम दोनों बहनें थोड़ी बड़ी होगयी । बुरा लगता था मां सब जुल्म सहती रही पर वह मां का मौन कभी टूटा ही नहीं और आज उसने बिलकुल चुप्पी लगा ली जिससे कोई आवाज ना सुनाई दे।
सबसे छोटी लघु कथा
स्वरचित
डा. मधु आंधीवाल