कवितालयबद्ध कविता
*_~~~~| मुझे तू अपना सा लगता है |~~~~_*
तुझे देख कर एक ख्बाब दिल मे सजने लगता है ...
दिल ही दिल में अजीब सी तड़पन सा लगता है ...
*पता नही क्यों , मुझे तू अपना सा लगता है ...*
हर घड़ी तेरे इंतजार में दिल बेकरार रहता है ...
एक एक पल भी एक साल जैसा लगता है ...
*पता नही क्यों , मुझे तू अपना सा लगता है ...*
मेरे अंधियारे जीवन में तू दीपक बनकर आया है ...
तेरे आने से जीवन मे मानो उजियारा सा लगता है ...
*पता नही क्यों , मुझे तू अपना सा लगता है ...*
तेरी प्यारी प्यारी सी बातें , वो नादान सी शरारते ...
देख तेरा मासूम चेहरा दिल खिलखिलाने लगता है ...
*पता नही क्यों , मुझे तू अपना सा लगता है ...*
सुख हो या दुःख हर राज तुझे बताना अच्छा लगता है ...
एक तू ही तो मुझे सच्चा हमराज सा लगता है ...
*पता नही क्यों , मुझे तू अपना सा लगता है ...*
तू ही मेरा प्यार है , तू ही दिलदार लगता है ...
तेरा साथ पाकर यह मानो जहां का प्यार लगता है ...
*पता नही क्यों , मुझे तू अपना सा लगता है ...*
तेरे मजबूत कांधों पर अपना सर रख के ...
हर पल हर लम्हा बिताना अच्छा लगता है ...
*पता नही क्यों , मुझे तू अपना सा लगता हैं ...*
जब जब तू अकेला महसूस करता है ...
तेरे साथ तेरा साया बन के चलना अच्छा लगता है ...
*पता नही क्यों , मुझे तू अपना सा लगता हैं ...*
तेरी उंगलियों में उंगलिया डाल कर चलना जैसे ...
सागर किनारे लहरों की ऊंची उड़ान जैसा लगता है ...
*पता नही क्यों , मुझे तू अपना सा लगता हैं ...*
पहले सावन की बारिश में अपनी बाहें खोल कर ...
तुझ संग भीगने , नाचने का मन करता है ...
*पता नही क्यों , मुझे तू अपना सा लगता है ...*
बिन मिले , दो दिलों का गहरा रिश्ता बनने लगा है ...
मुझे तो मेरे ख्वाबों के हमसफर सा लगता है ...
*पता नही क्यों , मुझे तू अपना सा लगता हैं ...*
बिन बात के युही खुद ही तुझसे रूठ कर ...
तेरा मुझे प्यार से मनाना अच्छा लगता है ...
*पता नही क्यों , मुझे तू अपना सा लगता है ...*
किसी दिन मुझसे दूर न हो जाना यही सोच ...
मेरा दिल कई बार न जाने क्यों मचलने लगता है ...
*पता नही क्यों , मुझे तू अपना सा लगता हैं ...*
*_मौलिक एवं स्वरचित ..._*
*_ममता गुप्ता ✍🏻_*
*_अलवर , राजस्थान ..._*