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"निर्णायक मंडली" - Anju Gahlot (Sahitya Arpan)

कहानीसामाजिक

"निर्णायक मंडली"

  • 238
  • 11 Min Read

प्रतियोगिता हेतु मेरी प्रविष्टि..

स्वरचित लघुकथा

शीर्षक-"निर्णायक मंडली"
- छोटे से पहाड़ी गांव में आज इतनी गहमा-गहमी क्यों है भैया!
- मैडम जी! सहर से यहाँ सालभर पहले एक बड़ी मैडम जीआई रहीं .गांव में माटी का घर किराए पर लेके रह रही हैं. साथ में दो मास्टर जी अउर दो टीचर भी रहते हैं.बहुत पढ़ी लिखी होशियार हैं.
-गांव की छोरियों और औरतों को अपने घर में पढ़ाई,लिखाई,सिलाई,कढ़ाई,बुनाई,योग,रंगोली गाना,बजाना ,नाचना बहुत कुछ सिखाती हैं.सब कुछ मुफत में.
-गांव के लोग तारीफ करते नहीं थकते हैं उनकी.
-आज मेला लगवाई हैं.सबके हाथों से बने उपयोगी सामान,कपड़े, पेंटिंग की प्रदर्शनी लगवाएंगी .
-शाम को पांच बजे से गाना,बजाना,गीत,कविता सब मजेदार तमाशा होगा.कोई भी नाम लिखा सकता है प्रोग्राम में.
-चलो तो हम भी कुछ सुना देंगे जी.
कहते हुए प्रीति ने ऑटोवाले को मौसी मां के घर की ओर मुड़ने का इशारा किया.
-मंच पर एक आकर्षक सी शख्सियत माइक पर बोल रही थी-निर्णायक मंडली के स्वागत के साथ ही मैं यह जरूर मेंशन करूँगी,कि मंडली के सभी सदस्य किसी भी प्रतिभागी के साथ पक्षपात नहीं करें.मैंने अपने जीवन में इस पीड़ा को महसूस किया है.कहा भी गया है,कि निर्णय करने वालों में परमेश्वर बसते हैं, तभी तो पंचों के न्याय की नींव पड़ी है गांवों में.
"अतिथि गायन प्रतियोगिता" के परिणाम घोषित करते हुए जैसे ही 'प्रीति शर्मा- प्रथम' की पुकार हुई...हर्षातिरेक में मंच की सीढ़ियों से उतरती हुई उस भव्य शख्सियत के कदमों पर झुकी प्रीति जी बरबस ही सिसक उठी थीं.
सदैव ही सर्वश्रेष्ठ प्रविष्टियां जमा कराने पर भी जिस प्रतिभाशाली मोहिनी को शहर के मंचों पर सेवानिवृत्त प्राचार्या प्रीति जी ने बैस्ट होने पर भी ईर्ष्यावश कभी भी आगे नहीं आने दिया और रिश्वत लेकर सदैव अपने कमजोर और सिफारिशी प्रतिभागियों को ही सम्मानित कराया ,आज वे अपनी धोखे वाली उस नापाक चालबाजी और गलत प्रवृत्ति को याद करके अचानक ही सुबक उठी थीं.उन्हें उठाते हुए,भली भांति पहचानकर भी ,स्नेह सहित मोहिनी जी उनसे बोलीं-
चलिये प्रीति जी! उठिये ,मंच पर आकर अपना सम्मान ग्रहण कीजिये.
अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है.भविष्य में हीअब अपने नाम का मान रख लीजियेगा.
सुबह का भूला शाम को घर लौट आए,तो उसे भूला हुआ नहीं कहते.
_______
स्वरचित-
डा. अंजु लता सिंह
नई दिल्ली

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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

बढ़िया

दादी की परी
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