कविताअतुकांत कविता
पुरुषों के सौंदर्य पर नहीं लिखे जाते गीत
जन्म लेते ही मार दिया जाता है उनका सौंदर्य
और मृत्यु तक वह जीतें हैं
कठोर
पुरुषों के वात्सल्य पर नहीं लिखे जाते लेख
उनके रोने पर कह दिया जाता है
" पुरुषों पर शोभा नहीं देता, रोना "
उसके आँसू सूख कर ख़ुद और उसे बना देतें हैं
निष्ठुर
पुरुषों की बस लिखी गईं हैं गाथा
जिसमें होता है दैहिक शक्ति का बखान
निष्ठुर, कठोर व पुरुषार्थ का प्रमाण
किसी भी ग्रन्थ मे नहीं है क्षमता
पुरूष के भीतर की स्त्री का वर्णन करने की
क्योंकि मार दी जाती है वह स्त्री
पुरुष के पैदा होते ही
हर पुरुष पैदा स्त्री ही होता है
© मोहित द्विवेदी