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हर पुरुष पैदा स्त्री ही होता है - Mohit Dwivedi (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

हर पुरुष पैदा स्त्री ही होता है

  • 1057
  • 3 Min Read

पुरुषों के सौंदर्य पर नहीं लिखे जाते गीत
जन्म लेते ही मार दिया जाता है उनका सौंदर्य
और मृत्यु तक वह जीतें हैं
कठोर

पुरुषों के वात्सल्य पर नहीं लिखे जाते लेख
उनके रोने पर कह दिया जाता है
" पुरुषों पर शोभा नहीं देता, रोना "
उसके आँसू सूख कर ख़ुद और उसे बना देतें हैं
निष्ठुर

पुरुषों की बस लिखी गईं हैं गाथा
जिसमें होता है दैहिक शक्ति का बखान
निष्ठुर, कठोर व पुरुषार्थ का प्रमाण

किसी भी ग्रन्थ मे नहीं है क्षमता
पुरूष के भीतर की स्त्री का वर्णन करने की
क्योंकि मार दी जाती है वह स्त्री
पुरुष के पैदा होते ही

हर पुरुष पैदा स्त्री ही होता है

© मोहित द्विवेदी

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Champa Yadav

Champa Yadav 3 years ago

शानदार....

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

बेहतरीन

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

सुपर्ब ??

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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प्रपोजल
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माँ
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