Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
"चाँद से हुई बातचीत" - Bhawna Sagar Batra (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

"चाँद से हुई बातचीत"

  • 249
  • 5 Min Read

एक रोज़ देखा चाँद को,
बड़े ही ध्यान से, ज़रा इत्मिनान से -2
और पूछा उससे कि तुम परेशान नहीं होते।
वो बोला किसलिए??

मैंने कहा सारी रात चंद आशिक निहारते हैं तुम्हें,
बच्चे छोटे, मामा पुकारते हैं तुम्हें ।
पढ़ते है कविता बनाकर तुम पर,
चंद लोग सनम कहकर पुकारते है तुम्हें ।

बताओ भला, क्या खुदका वजूद नहीं
या सनम, मामा, बनना ही है सही ।

चाँद ज़रा सोच में हो गया लीन,
और बोला मुझसे, बात सुन मेरी ,
मैं हूँ श्वेत पर फिर भी दिखता हूँ रंगीन ।
मेरी दुनिया बड़ी है हसीन ।

बनकर चंदा मामा, दिल बच्चों का बहलाता हूँ
लगे जो पंख किसी को प्यार के,
मुहोब्बत बन जाता हूँ, लग जाए चोट
जो किसी के दिल को,तो मरहम बनकर
उसको मैं सनम नज़र आता हूँ ।

कभी पूर्णिमा की रोशनी,
कभी अमावस की काली रात हो जाता हूँ ।
तारों की बहुत भीड़ है मेरे आस-पास,
मगर जो साथ है मैं उन्हीं के पास नज़र आता हूँ ।
(सप्तर्षि)

©भावना सागर बत्रा की कलम से

1601182590.jpg
user-image
Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 4 years ago

सुंदर

Bhawna Sagar Batra4 years ago

शुक्रिया दी

चालाकचतुर बावलागेला आदमी
1663984935016_1738474951.jpg
वक़्त बुरा लगना अब शुरू हो गया
1663935559293_1741149820.jpg
मुझ से मुझ तक का फासला ना मुझसे तय हुआ
20220906_194217_1731986379.jpg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg