कविताअतुकांत कविता
भारत का चतुर्थ स्तंभ है
मीडिया हमारी
जन जन की आवाज है
मीडिया हमारी
परंतु यह स्तंभ क्यों
हिलाने लगी
सच से पर्दा क्यों
सरकाने लगी
कोई शहीद हो जाए सीमा पर
बिलख रहे हो घर परिवार
कोई गरीब मदद को लगाये गुहार
तब क्यों नहीं आती मीडिया हमारी
बड़े -बड़े अभिनेताओं
के पलंग के नीचे है छुप जाती
क्या खाया कब नहाया
यह सब न्यूज़ हमें बतलाती
गुंडे क्रिमिनल की नींद कैसे आई
रात भर जगते रहे
या करवट बदले
यह सब खबरें बताती
मीडिया हमारी
किसी की तो भैंस
ढूंढ कर ले आती
और किसी के बच्चे
मर जाते पता तक नहीं लगा पाती
अपने कर्तव्यों से अपनी कलम से
विमुख हो गई है मीडिया हमारी
स्वरचित मौलिक
अंजनी त्रिपाठी
हरिद्वार उत्तराखंड
26/09/2020