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एक हाथ दोस्ती का - Mamta Gupta (Sahitya Arpan)

कहानीसामाजिकप्रेरणादायक

एक हाथ दोस्ती का

  • 295
  • 17 Min Read

*एक हाथ दोस्ती का ...*

आज जो बच्चा फीस नही लाया है वह अपनी अपनी सीट पर खड़े हो जाये । टीचर की यह बात सुनकर रोहन अपनी सीट पर खड़ा हो गया । क्योंकि कक्षा में वही एक ऐसा बच्चा था जिसकी फीस अभी तक जमा नही हुई थी ।

उसको देख टीचर बोली - तुम आज फिर फीस नही लाये , कल कल करते हुए तुम्हे 15 दीन हो गए है पता नही तुम्हारा कल कब आएगा । बस कल को तारीख में तुम्हारी फीस आ जानी चाहिए वरना तुम्हारा नाम काट दिया जाएगा ।
" टीचर ने गुस्सा करते हुए कहा ..."

रोहन यह सुनकर उदास व परेशान हो गया कि
" आखिर कल तक फीस का बंदोबस्त कैसे होगा ..."
उसको परेशान देख उसकी कक्षा में पढ़ने वाला राजू ने पूछा - क्यों उदास हो , आखिर तुम्हारी परेशानी क्या है , तुम क्यो रोज रोज फीस के कारण टीचर से डांट खाते हो ।

रोहन ने कहा - मैने पिताजी से कहा था फीस भरने के लिए लेकिन वह बोले कुछ दिन बाद दीपावली है , दीपक बेचने पर जो भी पैसा आएगा तेरी फीस भर दूँगा । बस भगवान से दुआ कर इस बार सारे दीपक बिक जाए । जब से लोग चाइनीज लाइट्स का उपयोग करने लगे है तब से हमारा तो धंधा ही मंदा हो गया है । यह कहते हुए पिताजी की आंखों में आँसू साफ नजर आ रहे थे ।

जब रोहन ने राजू को अपनी परेशानी बताई तो उसने सभी बच्चो को अपने पास बुलाया और कहा - हमे रोहन की मदद करनी होंगी , तभी एक बच्चा बोला - हम कैसे कर सकते है रोहन की मदद , हमे तो पॉकेट मनी भी नही मिलती ।

राजू ने समझाते हुए कहा - हम कर सकते है रोहन की मदद हमे सिर्फ इतना करना होगा कि की घर पर जाकर अपने माता पिता से कहेंगे कि इस बार हम चाइनीज़ लाइट्स का उपयोग नही करेंगे । हम स्वदेशी दीपक का उपयोग कर घर को सजाएंगे , ताकि रोहन की मदद हो सके ।

बच्चो ने राजू की बात मानते हुए हामी भरी और स्कूल की छुट्टी होने के पश्चात राजू की बात घर जाकर अपने परिवार वालो के सामने रखी । राजू भी अपने घर पर इसी बारे में सोच कर परेशान था कि पता नही रोहन की मदद कर पाएंगे भी या नही ।
राजू को परेशान देख उसकी माँ ने पूछा - क्या हुआ बेटा क्यो इतना परेशान है ? आखिर बात क्या है ?

राजू ने परेशानी बताते हुए कहा - माँ हमारी क्लास में एक रोहन नाम का लड़का है , उसके पापा माटी के बर्तन बेचने का काम करते है जिसकी वजह से उनकी आय कम है औऱ फीस जमा करवाने में देरी हो जाती है , फीस बकाया व देरी से जमा होने के कारण रोहन को रोजाना डांट खानी पड़ती है ।

माँ ने बात काटते हुए कहा - डांट वो खाता है लेकिन उसके डांट खाने से तुम क्यो परेशान हो । राजू ने कहा मैं उसकी परेशानी दूर करने के लिए परेशान हूँ , वो मेरा मित्र है । माँ अब कुछ दिन बाद दीपावली आ रही है क्यो ना हम बाजार में बिकने वाली महंगी लाइट्स की बजाय स्वदेशी दीपक से घर सजाए व उपहार स्वरूप सभी को दीपक ही दे । इससे हमारा भी फायदा होगा औऱ रोहन जैसे न जाने कितने ही लोग है उनके पास भी थोड़ा पैसा जमा हो जाएगा ताकि रोहन की फीस जमा हो सके ।

राजू की बात सुनकर माँ को आश्चर्य हुआ - औऱ बोली मेरा बेटा इतना समझदार कब से बन गया , सच मे बेटा बहुत ही अच्छा सुझाव है ।

सभी बच्चो के परिवार वालो ने अपने बच्चो के कहे अनुसार रोहन की मदद करने के लिए तैयार हो गए । तथा हमेशा चाइनीज लाइट्स व उपहार का बहिष्कार कर स्वदेशी दीपक का ही उपयोग करने का प्रण लिया । राजू और माँ ने मिलकर एक दिन पहले ही अपने रिश्तेदारों व मिलने जुलने वालो को उपहार स्वरूप दीपक पैक करके भेज दिए औऱ उपहार के साथ एक संदेश भी की " अबकी बार स्वदेशी अपनाओ । "

राजू की यह योजना सफल हुई सब बच्चो ने मिलकर रोहन की सहायता करने में हाथ बढ़ाया जिससे रोहन अपनी फीस जमा करवा पाया ।


*जिंदगी के सफर में कभी सुख तो कभी दुःख ...*
*आया जब जब तूफान मुझपे मुश्किलों का ...*

*हर तूफान में अपनी कश्ती पार लगाऊ ...*
*जब मिल जाए एक हाथ दोस्ती का ...*

ममता गुप्ता
अलवर(राजस्थान)

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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

सच्ची दोस्ती..!

Mamta Gupta3 years ago

धन्यवाद सर जी

Poonam Bagadia

Poonam Bagadia 3 years ago

अच्छी रचना...

दादी की परी
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