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बदलाव की बयार - Krishna Tawakya Singh (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

बदलाव की बयार

  • 161
  • 11 Min Read

बदलाव की बयार
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उसने बदलना तो चाहा था ,भारत की तस्वीर
और तब स्पष्ट दिखा
जब बदली जम्मू और कश्मीर |
नोटों से लेकर ,चौखटों तक
बदलाव की वह बयार गयी |
हर टुकड़े को एक सूत्र मे बाँधने की कोशिश
एक नियम ,एक ही विधान
जी़ एस़.टी बनकर आया बलवान
वन नेशन वन राशन कार्ड
वन नेशन ,वन मार्केट
वन नेशन ,वन टारगेट
पर वे बौखला गए ,जो अपने क्षेत्र में
अपने लिए अलग नियम बनाते थे
मरता रहे कोई ,खुद की समृद्धि पर नजर गड़ाते थे
उसने तोड़ा है देश की जड़ता को
यथास्थिवाद की जकड़न को
लगा देश चल पड़ा है
एक नये रास्ते पर ,एक नये लक्ष्य लक्ष्य की ओर
बिना किसी बड़ी लड़ाई के परिवर्तन ने पैर बढा दिया था
चींजे बदलने लगी थी ,सोच भी बदल रहे थे
कुछ कोरोना की मार ,
मौका मिला उन्हें जिन्हें देश की राजनीति ने
कर दिया था बेरोजगार
वे बेरोजगारी का ठीकरा लेकर घूमने लगे
किसके सर फोड़े
मैं तो उसी समय बेरोजगारी से त्रस्त होकर
प्राइवेट नौकरी करने लगा था
जिस काल को ये रोजगार का स्वर्णिम काल बताते हैं
तब दलाली के क्षेत्र में बड़ा काम. था
मेडिकल और जीवन बीमा के एजेण्ट का नाम था
लूट खसोट वाली कम्पनियों ने
कितनों के जमाधन लूटे
इसकी भी गिनती करते
कितनों ने पैसे डूबने पर आत्महत्या कर ली
इसके आँकड़े भी सुनाते
कहीं कोई कारखाना तो अब बँद नहीं हुआ
बस बँद हुआ है ,नहीं नहीं पूरी तरह बँद नहीं हुए
बस लगाम लगनी शुरू हुई है गोरखधंधे पर
असर पड़ने लगा है इनके चँदे पर
तब इन्हें बेरोजगारी नजर आने लगी है
आज मेडिक्लेम की दुकाने बँद हो गयी
आ गयी आयुष्मान योजना
बैंको में इंसुरेंस होने लगे
बिना एजेंट के हाेम लोन में सब्सिडी मिलने लगी
तब इन्हें रोजगार कम लगने लगा
लूट खसोट का व्यापार कम लगने लगा |
जब भारत अपनी जरूरत का सामान
रक्षा उपकरण खुद बनाने का निर्णय करने लगा
मोबाइल के कारखाने खुलने लगे
तब इन्हें बदहाली लगने लगी
चीन से सामान खरीदकर लाने में खुशहाली थी
एक बड़े बदलाव का अर्थ जनता समझती है
कुछ उथल पुथल होते हैं
कुछ भीतर से ,कुछ बाहर से रोकना चाहते हैं
बदलाव के बयार को
कहीं उनके न्यस्त स्वार्थ इस बयार में बहे तो नहीं जा रहे
जनता ने रोक दिया है रास्ता
सत्ता की सीढ़ी अब चढ़े नहीं जा रहे |

( भारत के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी के जन्म दिन पर विशेष )
भगवान उन्हें दिर्घायु रखें | जन्म दिन की शुभकामनाओं सहित |

कृष्ण तवक्या सिंह
17.09.2020.

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Anujeet Iqbal

Anujeet Iqbal 4 years ago

बहुत अच्छे

Krishna Tawakya Singh4 years ago

धन्यवाद

Champa Yadav

Champa Yadav 4 years ago

बहुत खूब.... सर

Krishna Tawakya Singh4 years ago

धन्यवाद !

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