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हां मै एक औरत हूँ - Madhu Andhiwal (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

हां मै एक औरत हूँ

  • 280
  • 3 Min Read

हां मै एक औरत हूँ ----
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मै सीता नहीं हूँ सावित्री नहीं हूँ
पर पुरुष तो राम है,क्योंकि मै औरत हूँ ,
तुम बाजार की सीमा रोंदो तो कोई आरोप नहीं ,मै यदि आंख उठाकर देख लूं ,तो चरित्र हीन हूँ ,
क्योंकि मैं एक औरत हूँ ,
तुम चाहो तो हजार व्यसन करो ,मै अपनी जिन्दगी भी ना जीऊं क्योंकि मै एक औरत हूँ ,
मोहब्बत का हक केवल तुम्हारे हिस्से में है,मेरे लिये वह गलत है ,क्योंकि मै एक औरत हूँ ,
तुमको सब हक है मुझको क्यों नहीं ,
बस मुझको केवल एक हक है ,
कि मैने तुम्हारा निर्माण किया है,
क्योंकि मै एक औरत हूँ...
स्व रचित ##
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डा .मधु आंधीवाल एड.
अलीगढ़

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Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

चैतन्यपूर्ण

Madhu Andhiwal3 years ago

धन्यवाद

Anujeet Iqbal

Anujeet Iqbal 4 years ago

उत्तम

Madhu Andhiwal4 years ago

Thanks

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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प्रपोजल
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माँ
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