Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
मुफ़लिस - संदीप शिखर (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

मुफ़लिस

  • 178
  • 3 Min Read

शिर्षक-मुफ़लिस


अमीरों के पैरों तले,कुचला गया मुफ़लिस
भूख लगी तो धोखा भी,खा गया मुफ़लिस

उसकी राह या परवाह,खुद उसने ही चुनी है
मौत की डगर चल कब्र में,समा गया मुफ़लिस

सपने नही अपने नही,कुछ भी नही जहा पर
सोचता रहा किस जगह,है आ गया मुफ़लिस

मरने के बाद हो कफ़न,या दफन की सरजमी
बड़ा नसीब वाला है,जो इसे पा गया मुफ़लिस

फिक्र और जिक्र में नही,लिख रहा है सुनो शिखर
बस देखकर तस्वीर को,खुद शर्मा गया मुफ़लिस

स्वरचित-संदीप शिखर मिश्रा। #वाराणसी(U. P)

FB_IMG_1600537140045_1600537366.jpg
user-image
Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 4 years ago

वाह

संदीप शिखर3 years ago

आभार आपका

Anujeet Iqbal

Anujeet Iqbal 4 years ago

ओह???

संदीप शिखर3 years ago

आभार आपका जी?

प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
तन्हाई
logo.jpeg