कवितालयबद्ध कविता
आओ साथियों........
हिंदी दिवस पर अभिमान करे
मातृभाषा से प्यार करें!
अमृत वेला में उठकर,
जब हिंदी उच्चारण होता है ।
मां का प्यार जब मिलता है,
स्वर उन्माद का उठता है।
अंतःस्थल है हिंद का,
हिंदी ने अमृत घोला है ।
वह बोल वहीं थे,मीठे थे ,
जब मुख से निकली हिंदी भाषा।
जिस मातृभूमि पर जन्म लिया,
उसने हमको यह मान दिया।
मां की भाषा पहली भाषा,
यह हमको ज्ञान दिया।
हिंदी के स्वरऔर व्यंजनों में,
मिश्री सा रस है घुला हुआ ।
सार्थकता है जीवन जीने में,
मुझे मिली जब मेरी मातृभाषा।
व्यवस्थित शब्द है मौन नहीं ,
साधारण शब्द है गौण नहीं ।
उच्चारण हर एक शब्द है निश्चल,
हिंदी जान और शान रही।
जन्म मिला हमें हिंद देश में,
हिंदी से हिंदुस्तानी हुए।
अभिमान हमें हिंदी भाषा पर ,
गौरव हमें हिंदी भाषा पर।।
जय हिन्द
ऋतु गर्ग
स्वरचित मौलिक
सिलीगुड़ी, पश्चिम बंगाल
#हिंदी दिवस
जी हिंदी दिवस यहां नही। ऊपर जहां हैश टैग दिख रहे हैं उनमें ऐड करना है।