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उपेक्षिता नारी - Anjani Tripathi (Sahitya Arpan)

लेखअन्य

उपेक्षिता नारी

  • 205
  • 4 Min Read

कहते हैं ईश्वर की
कोई भी रचना
अपूर्ण नहीं होती
फिर नारी अपूर्ण
कैसे रह गई?

किसी ने बांझ नाम दिया
किसी ने निसंतानी,
किसी ने कहा अरे ,
सुबह-सुबह मुंह देख लिया
आज तो दिन ही
खराब हो गया

मां की ममता
तो हर नारी में,
अमृत कलश बनकर
छलकता है ना!
फिर नारी बांझ कैसे बन गई?

क्या संतानोत्पत्ति के बिना
नारी का कोई अस्तित्व नहीं
हृदय के अंदर हिलोरे मारते
ममत्व का कोई महत्व नहीं

मदर टेरेसा ने कौन सा
कोई बच्चा जना था
पर सारे जग ने
मदर कह के पुकारा
माता यशोदा ने
कहां कृष्ण को जना था
पर सारे जग ने
यशोदा मईया
कह के पुकारा
क्या मां बनने के लिए
कोख से ही
जन्म देना जरूरी है?
अगर हां !
तो यह सवाल ईश्वर से है
उनकी रचना
अपूर्ण कैसे रह गई?

अंजनी त्रिपाठी
स्वरचित मौलिक
16/09/2020

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Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

चैतन्यपूर्ण

Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

नारी, तू नारायणी

Anjani Tripathi3 years ago

धन्यवाद सर

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

नारी जीवन पर्यन्त कार्य रत रहती है.

Anjani Tripathi3 years ago

धन्यवाद सर

समीक्षा
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