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Sahitya Arpan - कलम कलाकार
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कलम कलाकार

'कलमकार'

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  • कविताअन्य

    सफर

    • Added 7 months ago
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    • 66
    • 2 Mins Read

    *सफर*

    उलझती सी पतंग कि डोर दरख्त पर..
    दरख़्त से पनाह मांग रही हैं..
    और सोचो कांटो भरा दरख़्त उसे ज़रा भी नही खलता..

    क्युकी वो दरख्त उसकी ज़िन्दगी
    और कांटे उसके गम
    और चलती हवाए?

    उसके ज़ख्मो पर मरहम,
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    सफर,<span>अन्य</span>
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    कविताअन्य

    संघर्ष

    • Added 7 months ago
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    • 92
    • 1 Mins Read

    जब तक चीज़े दिल पर नही लगती..
    दिल किसी चीज़ में नही लगता

    संघर्ष,<span>अन्य</span>
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    लेखअन्य

    ज़िन्दगी

    • Added 7 months ago
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    • 38
    • 1 Mins Read

    उम्र निकल ग ई
    ज़िन्दगी के पन्ने पलट तें, पलट तें

    एक किताब बन ग ई
    ज़िंदगी को लिखते, लिखते

    अंत होने को है
    ज़िंदगी का ज़िन्दगी
    को जीते, जीते

    ज़िन्दगी,<span>अन्य</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    अनसुलझे शब्द मेरे

    • Added 7 months ago
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    • 114
    • 1 Mins Read

    ज़िन्दगी के रंग मे इतने रंगहीन हो ग ए
    कि ज़िन्दगी को जीना भी है, भूल ग ए

    अनसुलझे शब्द मेरे,<span>अतुकांत कविता</span>
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