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Sahitya Arpan - JAI PRAKASH SRIVASTAV
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JAI PRAKASH SRIVASTAV

'पूनम'

जय प्रकाश श्रीवास्तव कवि, लेखक, पत्रकार हूं और अयोध्या का निवासी हूं।मूल ब्यवसाय खेती है।एम.ए(हिन्दी) में किया।अब स्वतन्त्र रूप से साहित्य सृजन में तल्लीन हूं। धन्यवाद

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  • कविताअतुकांत कविता

    मैं हिन्दी हूं

    • Added 1 year ago
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    • 338
    • 3 Mins Read

    हिंदी की ब्यथा
    ***********
    आज मनाये मेरा उत्सव।
    कैसा है ये पागल दीवाना।
    मुझे बना के सौतन उसकी।
    कहता है तू है मेरी जाना ।
    मैं हिन्दी हिन्दुस्तान है मेरा।
    हर हिन्दुस्तानी में मेरा बसेरा।
    मैं हूं सीधी
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    मैं हिन्दी हूं ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    गजल

    गज़ल

    • Added 1 year ago
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    • 2 Mins Read

    गज़ल
    212 212 212 212

    ख्वाब झूठे सही, पर सजाना पड़ा।
    जीत कर खेल में,हार जाना पड़ा।।
    लोग शायद यहां सब परेशान हैं।
    चोट खाई मगर मुस्कुराना पड़ा।।
    आज घायल यहां आम इंसान है।
    घाव अपना जहां से छुपाना पड़ा।।
    नाम
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    गज़ल ,<span>गजल</span>
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    अतुकांत कविता

    मत बांधो

    • Added 1 year ago
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    मत बांधो
    अब बांधो सीमा में न और मुझे।
    मुझको कुछ और विखरने दो।
    वुझ जाने दो ये जलता दीपक!"
    मुझको अब और सुलगने दो ।

    थी आशाएं, कुछ देखे थे सपने।

    क्यों अलग हुए सब अपने !
    पता नहीं ये कमियां मुझमें थी।

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    मत बांधो ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कवितागीत

    रक्षाबंधन गीत

    • Added 1 year ago
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    रक्षाबंधन
    अमर प्रेम की स्वर्णिम गाथा,
    ये राखी का त्यौहार है।

    सबसे पावन, सबसे न्यारा,

    ये भाई-बहन का प्यार है।।
    बांध के डोर कलाई में,
    माथे पर तिलक लगाती है

    लगे वीरन
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    रक्षाबंधन गीत ,<span>गीत</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    टूट गया अभिमान चांद का

    • Added 1 year ago
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    • 224
    • 3 Mins Read

    टूटा अभिमान चांद का
    *********************
    टूट गया अभिमान चांद का।
    ये भारत चांद पर उतर गया।
    अपनी सुन्दरता पर इतराते।
    उस चांद का भांडा फूट गया।
    अब कोई बच्चा न मचलेगा।
    मां से चन्द्र खिलौना लेने को ।
    अब ये कोई
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    टूट गया अभिमान चांद का ,<span>अतुकांत कविता</span>
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