जय प्रकाश श्रीवास्तव कवि, लेखक, पत्रकार हूं और अयोध्या का निवासी हूं।मूल ब्यवसाय खेती है।एम.ए(हिन्दी) में किया।अब स्वतन्त्र रूप से साहित्य सृजन में तल्लीन हूं। धन्यवाद
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कविताअतुकांत कविता
हिंदी की ब्यथा
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आज मनाये मेरा उत्सव।
कैसा है ये पागल दीवाना।
मुझे बना के सौतन उसकी।
कहता है तू है मेरी जाना ।
मैं हिन्दी हिन्दुस्तान है मेरा।
हर हिन्दुस्तानी में मेरा बसेरा।
मैं हूं सीधी
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कवितागीत
रक्षाबंधन
अमर प्रेम की स्वर्णिम गाथा,
ये राखी का त्यौहार है।
सबसे पावन, सबसे न्यारा,
ये भाई-बहन का प्यार है।।
बांध के डोर कलाई में,
माथे पर तिलक लगाती है
लगे वीरन
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कविताअतुकांत कविता
टूटा अभिमान चांद का
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टूट गया अभिमान चांद का।
ये भारत चांद पर उतर गया।
अपनी सुन्दरता पर इतराते।
उस चांद का भांडा फूट गया।
अब कोई बच्चा न मचलेगा।
मां से चन्द्र खिलौना लेने को ।
अब ये कोई
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