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London is the capital city of England.
कविताअन्य
मन क्यों बहके रे बहके तेरी चाहत में ?
मिले ख़ुशी तुझे देखे बगैर तेरी आहट से
क्यों तेरा हर वक्त इंतजार रहता हैं ?
तू आएगी जरुरी दीवाना दिल कहता हैं
मेरे मन सुन ले पुकार उस भविष्य की जो
हर वक्त वर्तमान
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कविताअन्य
सबकुछ तो तय हैं , फिर किस बात का भय हैं ?
जन्म से लकीर खींची श्मशान तक
रोटी से लेकर उस चाँद तक भागते हो
आखिर इंसान तुम क्या चाहते हो ?
खुद पे इतना घमडं हैं या किसी द्विधा में हो ?
कहीं इंसान इंसानियत
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कविताछंद
मैं समय हूँ,विशुध्द निरामय हूँ
कल भी था और कल भी रहूँगा
मेरी कीमत जो भी जानते हैं
वही अपनी मंजिल पाते हैं
मैं नहीं जानता आगे क्या होगा ?
लेकिन क्या हुवा ?कैसे हुवा ,क्यों ?
मुझ मे सबकुछ राज दफ़न
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कविताअन्य
दिप जैसे चमकते रहो तुम ...
पावन चरणोपर लीन होना !
वचनपूर्ती का ही आनंद लेना ...
लीन होकर आशीर्वादीत रहो सदा !
किंतु - परंतु से बाधीत ना हो तुम ...
हाल -हवाल कभि न खोकर खुश रहेना !
र्दिघ आयु तुम्हे मिले
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