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"मिलने"
कविता
दिल चाहता है
दिल चाहता है
इकरार
स्वरलहरी
उससे मिलने की खुशी मत पूछो
आखरी मुलाकात
इजाज़त 🥺
*जिंदगी से मिलने को तरस गए*
जान में जान आ जाती है
ला-हासिल ही रहता है यादगार में
राह-ए-सफ़र मिलने वाले रहबर नहीं हुआ करते
आईने में मिलने वाला है
रातों की नींद गंवाई है
मनों के मिलने से घर बनता है
मिलने हमसे अहबाब पुराने ले आ
अपना ना रहे साथ तो याद आती है
बदले हुओं से मिलने को तैयार नहीं हैं हम
उनकी हैं मुंतज़िर कबसे हमारी आंखें
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