Login
Login
Login
Or
Create Account
l
Forgot Password?
Trending
Writers
Latest Posts
Competitions
Magazines
Start Writing
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
Searching
"देखे"
कविता
फूल 🌸
नब्ज़ क्या खाक देखेगा तबीब मेरा
वो हमसे पूछे कितना है क़रीब मेरा
*रंग- ए- मौसम -ए -हयात*
*रंग-ए-मौसम-ए-हयात*
*रंग-ए-मौसम-ए-हयात*
कुरबत मिले तो जीकर देखें
हम भी तो देखें दिल उसका अपने सीने में डालकर
रास्ते सफ़र के बहुत हमने बदल बदल कर देखे
सबने अपने-अपने देखे
उम्र-भर के लिए सो जाएंगे
उगते सूरज की सहर को देखें
देखें सपने तेरे
जिस नज़र से देखेंगे दुनिया वैसीही दिखाई देगी @ "बशर "
उनका क्या करें जो दिल में समाए हैं
मनसे अंधा अपने अंदर क्या देखे
घरबार कोई क्या देखे
अपनों की फ़िक्र से निकलें तो हाल अपना देखें © 'बशर' bashar بشر
जिन्दगी देखे थे,
नजरों से समझाकर देखेंगे ©
Edit Comment
×
Modal body..