कविताअतुकांत कविता
नारी सप्ताह _
शीर्षक_ (मेरा मौन ही तो मेरे जीने की कला है)
मेरा मौन ही तो ,मेरे जीने की कला है।
हर परिस्थिति का सामना मैं मौन होकर अपना लेती हूँ।
मेरी हकीकत यही है कि मैं मौन होकर
जिए जाती हूँ।।
यथार्थता की सत्यता को,मैं हर पल अपना लेती हूँ।
मेरा मौन ही मेरे जीने की कला है।
हाँ हाँ मैं नारी हूँ; इसलिए हर दर्द सह जाती हूँ।।
जीवन जीने की कला है,
मैं मौन होकर
भी हर पल अपनी उपस्थिति दर्शाती हूँ ।
यही मेरी सबसे बड़ी जीत है।
यही मेरे जीने की कला है।
यही सत्यता है ,यही वास्तविकता है।
यही नारी के जीवन की अभिव्यक्ति है।।।
मौन की अभिव्यक्ति ही सत्यता का प्रतीक
है।।।।
सुमन मलिक
लेखिका
Suman12nirwal@gmail.com
Date 7/3/24
Meerut
भारत