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कवितानज़्म
तुझे नहीं पता तेरी याद सताती है किस क़दर हमको इक तेरी तस्वीर ही देखने को नहीं है मयस्सर हमको इरादा तो नहीं है उधर लौटकर आने का हमारा मग़र तेरी भोली -भाली सूरत बुलाती है वापस घर हम को © डॉ. एन. आर. कस्वाँ "बशर" 🍁