कहानीव्यंग्यप्रेरणादायक
*_हिंदी दिवस ..._* हिंदी का महत्व*
प्रिंसिपल मेम ने सूचना देते हुए कहा ।
सुनो बच्चो १४ सितंबर को हमारे विद्यालय में एक कार्यक्रम रखा जा रहा है , इस कार्यक्रम में सभी बच्चो के माता पिता को अंग्रेजी में एक स्पीच देना है ।
क्योंकि हम देखना चाहते है कि आपके माता पिता अंग्रेजी को कितनी अच्छे से समझ पाते है औऱ बोल पाते है , ताकि वो आपको अपने घर भी पढ़ा सके ।
जिस भी बच्चे के माता पिता अंग्रेजी स्पीच में प्रथम श्रेणी में आएगा ,
उन्हें हम उस विद्यार्थी को उनके माता पिता सम्मानित कर इनाम दिया जाएगा ।
अगर आप सभी बच्चे तैयार है इस कार्यक्रम में अपने माता पिता को प्रतिभागियों के रूप में देखने को , तो इसके लिए आपको भी खूब मेहनत करनी पड़ेगी ।
कार्यक्रम की बात सुनकर सभी बच्चो के चेहरे पर जितने की इच्छा जागने लगी ।
सभी बच्चे बाते करने लगे और आपस मे कहने लगे देखना इस स्पीच वाली प्रतियोगिता में तो मेरे ही मम्मी पापा जीतेंगे ।
रोहन को अंग्रेजी स्पीच वाली प्रतियोगिता के बारे में सुनकर थोड़ी चिंता होने लगी , क्योंकि रोहन की माँ को अंग्रेजी बोलना व पढ़ना कम ही आता था ।
लेकिन रोहन ने सोचा , मैं अगर माँ को प्रैक्टिस करवा दूँगा तो अच्छे से बोलना सीख जाएगी ।
ऐसा सोचकर रोहन अपने घर चल दिया , घर जाते ही उसने सबसे पहले माँ को स्कूल में होने वाली व्याख्यान प्रतियोगिता के बारे में बताया ।
प्रतियोगिता के बारे में सुनकर रोहन की माँ ने कहा-बेटा तुझे तो पता है ना , मैं अंग्रेजी में वैसे ही कमजोर हूँ मुझे कहा आता है अंग्रेजी बोलना ।
रोहन -माँ आप चिंता मत करो , मैं आपको सीखा दूँगा औऱ अभी तो काफी दिन है प्रतियोगिता के , इतने दिनों में तो आपको स्पीच याद करा दूँगा । इतना आसान तरीके से लिखूंगा की आपको जल्दी याद हो जाएगी , बस माँ आपको ही जीतना है ।
फिर क्या था रोहन ने " हिंदी दिवस " पर माँ के लिए इंग्लिश में एक आसान सा स्पीच लिखकर तैयार कर दिया औऱ स्कूल से आते ही माँ को स्पीच याद कराने लगता ।
रोहन जैसा बोलता वैसे ही चन्दा जी बोलती , थोड़ा याद रहता तो थोड़ा भूल जाती ।
जो स्पीच रोहन उन्हें याद करवा रहा था उसका उन्होंने हिंदी में अर्थ पूछा , आखिर जो तू मुझे याद करवा रहा है किस विषय के बारे में है ।
रोहन ने स्पीच का अर्थ बताते हुए कहा आप तो बस इसे रट लो , बस आपको इसे अच्छे से याद करना है ।
रोहन याद करवाता थोड़ी देर तो याद रहता फिर भूल जाती थी , अब रोहन को गुस्सा आने लगा ।
माँ आप को इतनी बार याद करवा रहा हूं फिर भी याद क्यों नही रहता ।
चन्दा जी बोली गुस्सा क्यों होता है , मैं क्या करूँ ये बनावटी अंग्रेजी है ही इतनी टेडी की , इसे समझने में देर लगती है औऱ मैंने तो पढ़ाई ही हिंदी की हुई है , मेरी हिंदी भाषा बहुत ही सरल है , झट से समझ आ जाती है ।
माँ की बात सुनकर रोहन को लगने लगा कि माँ तो इस स्पीच प्रतियोगिता में हार जाएगी , और बच्चो की मम्मी तो एकदम परफेक्ट इंग्लिश बोलती है , उनके आगे माँ का जीत पाना मुश्किल ही है ।
अब तो रोहन स्कूल भी जाता तो इसी बारे में सोचकर परेशान रहता क्योंकि बाकी बच्चो को कहते सुनता की उनकी तैयारी तो पूरी है प्रतियोगिता के लिए , बस अब तो इंतजार है उसदिन जिस दिन प्रतियोगिता होगी ।
तभी क्लास में प्रिंसिपल मेम आई और बोली-सभी बच्चो को याद तो होगा ही स्पीच प्रतियोगिता के बारे में , यह प्रतियोगिता कल है 14 सितेम्बर हिंदी दिवस ।
तो आप सभी बच्चे कल अपने मम्मी पापा के साथ तैयार रहना , स्कूल की छूट्टी होने के बाद जब रोहन घर गया तो उसके मुंह का रंग उतरा हुआ देख -चन्दा जी ने पूछा क्या हुआ बेटा !
ये तेरे चेहरा क्यों उतरा हुआ है , वैसे भी चन्दा जी ने रोहन के उतरे हुए चहेरे के रंग की वजह को भाप लिया था औऱ बोली कि जितना मुझे याद है उतना तो मैं बोल दूँगी , तू क्यों चिंता करता है , और हार जीत तो जिंदगी में चलती रहती है , जीत की सोचकर खुश औऱ हार की सोचकर दुःखी क्यों होना ।
कल की कल पर छोड़ दे , कल अच्छा ही होगा , चन्दा जी ने रोहन को समझाते हुए कहा।
माँ की बात से रोहन के चेहरे पर थोड़ी मुस्कुराहट आई और खाना खाने लगा , रात भर रोहन को यही रहा पता नही कल क्या होगा ।
सुबह रोहन जब अपनी माँ को स्कूल में प्रतियोगिता के लिए लेकर गया तो वहा उपस्थित सभी बच्चो के माँ को देखकर अचंभित रह गया , क्योंकि सभी के माँ पिता अच्छे से तैयार होकर आए थे ।
प्रतियोगिता शुरू होने का समय हो गया-
एक एक करके सभी बच्चो के मम्मी पापा ने अंग्रेजी में अच्छे से स्पीच दी , अब बारी थी रोहन की माँ मतलब चन्दा जी की ।
चन्दा जी जैसे ही स्टेज पर चढ़ी रोहन की दिल की धड़कने तेज होने लगी । चन्दा जी ने जैसे ही माइक हाथ मे लिया , तो बड़े ही विनम्रता से बोली-आदरणीय अध्यापक एवं अध्यापिका जी औऱ प्यारे बच्चो ।
हिंदी में ये शब्द सुनकर सभी बच्चे और बड़े हँसने लगे ।
आज " हिंदी दिवस " है और यहां सभी बच्चो के माता पिता ने हिंदी दिवस के दिन भी अंग्रेजी में भाषण दिया , मुझे अंग्रेजी बोलना नही आता, मेरी मातृ भाषा हिंदी है , मेरी पहचान हिंदी है । कही भी रहू लेकिन मेरी जननी को मैं कभी नही भूली ।
लेकिन आज इंग्लिश के चक्कर मे हम हिंदी भाषा का महत्व भूलते जा रहे है ।
आज आप सभी गणमान्य लोगों के समक्ष , मेरे बेटे द्वारा बनाये गए इस व्याख्यान को अंग्रेजी में कहने के लिए कहा गया है , जो मैंने अब तक सिर्फ हिंदी में सीखा है ...
मैंने काफी कोशिश की इस व्याख्यान को याद करने की , पर मैं सिर्फ हिंदी माध्यम से पढ़ी होने की वजह से इसे याद नही कर पाई ...
मैं कुछ पंक्तिया कहने के लिए उत्सुक हूँ आज के हिंदी दिवस के लिए ...
जैसे फूल माली बिना , मोर अपने पंख बिना ...
जैसे बनिया व्यापार बिना , विद्यार्थी किताब बिना ...
वैसे ही " हिंदी दिवस " हिंदी बिना , कोई मोल नही ...
हिंदी भाषा एकदम सरल है सुंदर है , हिंदी भाषा हमारी संस्कृति की पहचान है औऱ आधुनिक युग मे हम हमारी संस्कृति को भूलते जा रहे ।
बच्चो को नमस्कार व प्रणाम की जगह हम हाय हेलो बोलना सिखाते है , ये तो हमारी सभ्यता नही है ।
क्यों हम अंग्रेजी भाषा को इतना महत्व देते है , अगर कोई अंग्रेजी में भाषण दे तो बड़ी जोर शोर से कहा जाता है अरे वाह तुम अंग्रेजी कितनी परफेक्ट बोलते हो ।
औऱ अगर वो ही भाषण कोई हिंदी में दे तो कहते है कि पता नही गवार है एक दो शब्द तो इंग्लिश का बोल ही देता ।
मेरा मन तन मेरा जीवन ओर मेरा परिचय ही हिंदी है ।
मैं कुछ शब्द अंग्रेजी के बोलकर यहाँ महान नही बनना चाहती थी।
बस मैं आज हिंदी दिवस पर मेरी प्यारी भाषा हिंदी का सम्मान करना चाहती थी ।
मुझे आप सभी क्षमा करना कि अंग्रेजी में व्याख्यान नही दे सकी ,
मैं आप सब की और मेरे बेटे रोहन की क्षमाप्रार्थी हूँ जिसने मुझे अंग्रेजी में स्पीच याद कराने की पूरी कोशिश की ।
चन्दा जी के भाषण पर पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा , सभी लोगो को समझ आ गया था कि हिंदी का प्रसार हमे खुद करना होगा ।
बच्चो को हिंदी का महत्व बताना होगा ।
चन्दा जी को बेस्ट स्पीच का इनाम देकर सम्मानित किया गया ।
रोहन व चन्दा जी खुश थे कि उन्होंने " हिंदी दिवस " पर अपनी मातृभाषा के सम्मान में विजयी बनी ।
ममता गुप्ता