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"बाबा यहाँ ना छोड़ो मुझे..अपने साथ ले चलो। - Kalpana Jain (Sahitya Arpan)

कहानीसामाजिकप्रेरणादायक

"बाबा यहाँ ना छोड़ो मुझे..अपने साथ ले चलो।

  • 202
  • 11 Min Read

देर रात का समय था। 'वो' अपनी माँ के आंचल के नीचे सो रही थी। तभी उसके बाबा ने उसे झटके उसे उठाया और कही ले जाने के लिए मुड़ा तो उसकी माँ ने उसके बाबा के पैर पकड़ते हुआ कहा-"कहाँ ले जा रहे हो आधी रात में मेरी नन्ही सी जान को"। तो बाबा ने उसकी मां को धक्के मारते हुए कहा "मैं नहीं उठा सकता एक लड़की का बोझ..बेटा देती तो कुछ ओर बात होती ले जा रहा हूं इसे कही जंगल में फेंकने" ये बोझ हैं मेरे लिये केवल एक बोझ"।
नही मैं आपको इसे नही ले जाने दूँगी उसकी मां बहुत गिड़गिड़ाई पर बाबा ना माना और दरवाजा बाहर से बंद करके उस 10 दिन की नन्ही सी जान को जंगल की तरफ ले गया। 'वो' मासूम रो रही थी,और उसके बाबा तेज कदमो से जंगल के अंदर जा रहे थे। कुछ दूर जाके उसके बाबा को एक काँटो का झाड़ दिखा। कांटो के झाड़ के ऊपर उसके बाबा उससे फेंकने वाले थे कि तभी पता नही क्या हुआ बाबा के हाथ रुक गए बाबा के अंदर से एक आवाज़ आयी। "मरने वालों को भी काँटो की शय्या पर नहीं सुलाते और तू तो अपनी जीवित संतान को उस पर छोड़ने जा रहा है"। बाबा के कदम रुक गए तो बाबा ने उसे काँटो में नहीं छोड़ा। और आगे बढ़ गया।
आगे जंगल में उसके बाबा को एक खाली जगह दिखी उसने अपनी बेटी को वहाँ सुला दिया और उस पर चादर ओढा रहा था तभी उस नन्ही सी, मासुम सी बालिका ने अपने छोटे से हाथ से अपने बाबा की अंगुली पकड़ ली। बाबा ने उसकी तरफ देखा 'वो' भी अपने बाबा को देख रही थी उसकी प्यारी सी चमकती आंखे जैसे कह रही हो " बाबा मुझे यहाँ मत छोड़ो अपने साथ ले चलो.. पक्का मैं आपको कभी तंग नहीं करूंगी। मैं कभी कोई खिलौना नहीं मांगूगी। कभी जिद नहीं करूंगी,कभी कुछ नहीं मांगूगी ...बस मुझे जी लेने दो बाबा"। मैं आपका बोझ नहीं सहारा बनुगी बाबा। यहाँ जंगल मे मुझे अकेले मत छोड़ो बाबा.. कोई जानवर मुझे नोच के खा जाएगा।
फिर पता नहीं क्या होता है उसके बाबा उसे गोद में उठा घर की तरफ चलते हैं रास्ते भर बाबा की आंखें भरी हुई होती है। घर जाकर अपनी पत्नी की गोद में उस नन्ही सी जान को देते हुए कहता है "ले तेरी अमानत सँभाल इसे। दिमाग खराब होगया था मेरा जो इसको बोझ समझ कर फेंकने जा रहा था। इसका भी हक़ है जीने का, मैं ओर मेहनत करूंगा अच्छे से इसका पालन -पोषण करूंगा। पढ़ा -लिखा के काबिल बनाऊंगा। तुम देखना किसी बेटे से कम नहीं होगी मेरी बेटी "कहते हुए अपनी पत्नी और अपनी बेटी को गले से लगाता हैं।
अपनी राय जरूर दे।

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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 4 years ago

बहुत सुंदर

Kalpana Jain4 years ago

जी शुक्रिया

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 4 years ago

बहुत बेहतरीन बेटियाँ वाकई बोझ नही होती

Kalpana Jain4 years ago

जी

दादी की परी
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