कविताअतुकांत कविताअन्य
बदलाव
लड़कियों तुमने लड़कों के पेशाक तो पहन लिए
पर सिर्फ पोशाक पहने से होगा क्या......
खुद को भी तो अंदर से मजबूत बनाना होगा
तभी तो सामना कर पाओगे
बुरी नजर वालो का.......
सिर्फ ऊपरी ढांचा बदलने से कुछ नहीं होगा
अंदर से मजबूत होना होगा......
खुद को फौलाद जैसा बनाना होगा
कोमल नारी कह लाना छोड़ना होगा......
खुद को इस तरह बनाओ कि रास्ते पर
जब चलो तो #कापुरुष थरथर कांपने लगे
नजरे ना मिला पाए तुम से.......
उतार दो श्रृंगार नारी का
अगर बदलना ही है खुद को तो......
निकलना ही है अगर बाहर अकेले
चूड़ियों की जगह थाम लो हथियार हाथों में......
अगर कोई छुए तो प्रहार कर सको
सीखो वैसे कला, जिससे धूल चटा सको
जो तुम पर बुरी नजर डाले......
सिर्फ पोशाक पहनने से कुछ नहीं होगा
बनाना पड़ेगा खुद को फौलाद जैसा.....
बन जाओ #मां_दुर्गा की तरह
वक्त पड़ने पर अस्त्र से संहार कर सको
जो तुम्हें छूने की कोशिश करें.......
बन जाओ #रानी_लक्ष्मीबाई जैसे जो
अकेले भारी पड़ गई थी अंग्रेजों पर......
फिर से वही दौर लाना है जब हर नारी
हाथों में तलवार थामने के लिए तैयार थी......
सोचो कि तुम अभी भी आजाद नहीं हो
आजादी चाहिए, नीच मानसिकता वाले इंसानों से......
युग नहीं बदलता, बदलता है तो सिर्फ
इंसान की सोच, खुद को पेश करने की......
तभी भी राजा थे, अभी भी राजा है
तभी भी नारियों पर अत्याचार होता था
जो अभी भी नहीं थमा......
बस तरीका बदल गया है अत्याचार करने का
क्योंकि कुछ इंसानों की सोच नहीं बदली है ......
अभी भी नारियों को वो अबला ही समझते हैं
और हर मजबूर को अपना गुलाम.......
@champa यादव
8/9/20
बिल्कुल सही बात लड़कियों। को मजबूत बनना होगा तभी वो समाज का सामना कर पाएंगी
हाँ....मैम...सही कहा आपने