कविताअतुकांत कविता
किताबे-इश्क़
किताबे इश्क़ सा मुक्कमल और अधूरा इश्क़ नहीं,
की आगाज और अंजाम एक दूसरे से हरगिज़ जुदा नहीं।
करते है जो किताबे इश्क़ जिंदगी में ताउम्र हर दौर में,
तालीम मिलती है उन्हें हर हर्फ़ और वरक के हर छौर में।
मुश्किल नहीं है दिल लगाना और करना किताबी इश्क़ यूं,
बस चंद लफ़्ज़ों में डूब कर 'किरन' हर हर्फ़ का ज़रा सा स्वाद चखना है।।
Kiran