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कविताअतुकांत कविता
यादें हर रोज़ कुछ यादें बन रहीं ये यादें हमें तन्हा कर रही जो हमें मिल नहीं सकता क्यूँ मन उसके लिए बेचैन हो रही।। जिंदगी यादों का पिटारा है इन यादों को हम संजोते हैं फिर भी मन इसे पाने की चाह रख रही।।