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जीने केलिए बंदा मरने को तैयार हो जाता है - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

जीने केलिए बंदा मरने को तैयार हो जाता है

  • 39
  • 1 Min Read

आदमी कुछ भी करने को तैयार हो जाता है
जीने केलिए बंदा मरने को तैयार हो जाता है

©डॉ.एन.आर.कस्वाँ "बशर"
२०२३/०९/१०

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